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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४७ विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्म सूरीश्वर परिवार के पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में श्री दहिसर - नवागाम जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की स्थापना वि.सं. २०५१, काति सुदि ११, रविवार, ता. १३-११-९४ को हुई थी और आपकी प्रेरणा से श्री संघने इस भव्य और रम्य जिनालय का निर्माण किया था। आपकी प्रेरणा से मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी ३१", श्री आदिनाथजी २७" और वासुपूज्य स्वामीजी २७' की भव्य प्रतिमाएँ भाईन्दर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय से श्री संघ से प्राप्त हुई थी। जिनालय का भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५१ का जेठ वद-९ को वार बुध तारीख १४६-९५ को पूज्य आ.भ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू.आ.भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. आदि की पावन निश्रा में बडे ठाठ माठ से हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी आदि पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के प्रतिमाजी१, सिद्धचक्रजी-अष्टमंगल आदि ९ का अंदाजा हैं। श्री मणिभद्रवीर और श्री पद्मावती माता के सुन्दर गोखले हैं। ___ यहाँ चैत्र-आसौ मास की ओली की आराधना धामधूम से होती हैं। प्रत्येक शनिवार को दर्शनार्थीयो के भाता देने की व्यवस्था यहाँ के उत्साही संचालको ने की हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी सामायिक मंडल, महिला मंडल और जैन पाठशाला चालु हैं। शिखरबंदी जिनालय और उपाश्रय निर्माण के लिये प्रयत्न चल रहे है। (२३७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर __ए१/९, सागर वैभव, चौथा माला, लक्ष्मण म्हात्रे रोड, नवागाम, दहिसर (प.) मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९१ २० ९९ मनोहरलाल, ८९५ ०७ २७ बुलाखीदास विशेष :- श्री आदीश्वर आराधक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित तथा संचालित इस गृहमन्दिर की चल प्रतिष्ठा परमपूज्य युग दिवाकर आचार्य श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के परिवार के पू. आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतों की पावन निश्रा में वि.सं. २०३९ का फागुण वद-३ को हुई थी। चेम्बुर तीर्थ से प्रतिमाजी प्राप्त हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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