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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १३७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ एवं अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। पंचधातु की एक प्रतिमाजी पद्मावती देवी के साथ, आरस की एक पद्मावती देवी और आ. राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान हैं। अ.सौ. लीलावती रमणीकलाल वोरा (अकोलावाला) जैन उपाश्रय, दो पाठशाला तथा महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (२२२) श्री कुन्थुनाथ भगवान गृह मन्दिर प्रीति बिल्डिंग ब्लोक नं. २४ गीतांजलि नगर, साईबाबा नगर, के बाजू में स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : बिपिनभाई - ८०५५१५०, दिलिपभाई - ८०५ ४४ १३ विशेष :- श्री गीतांजली श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पू. आत्मकमल-लब्धि-लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म., पन्यासजी जयचन्द्र विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का श्रावण सुदि-१५ शुक्रवार ता. २८-८-७८ को हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री कुन्थुनाथ स्वामी २१” तथा श्री मल्लिनाथजी १९", श्री वासुपूज्य स्वामी १७” की तीन प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४, अष्टमंगल-३ बिराजमान हैं। यहाँ पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्म सूरीश्वरजी म. साहेब के समुदाय के प.पू. शतावधानी आ.भ. विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से उपाश्रय का निर्माण वि.सं. २०४४ में हुआ है और उसका उद्घाटन आप श्री और आ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में किया गया था । यहाँ श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। नूतन शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन एवं शिलास्थापना भूमिपूजन : विशद वक्ता पू. आचार्य श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म. पूज्य विद्वद्वर्य आचार्य श्री महानन्द सूरीश्वरजी म. विद्वान वक्ता आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का मगसर सुदि-१० शुक्रवार ता. १-१२-९५ को धर्म परायण पुण्यात्मा श्रीमती चन्दनबेन शाह के शुभ हस्तो से सम्पन्न हुआ था। शिलास्थापना : उपर लिखे सूरि भगवंतो की पावन निश्रामें वि.सं. २०५२ का माह सुदि१३ शुक्रवार ता. ३-२-९६ को प्रात: काल ८ बजे हुई थी। इसी दिन व्याख्यान हॉल का ड्रो वगैरह For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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