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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३६ मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री धीरजलाल फुलचन्द मेहता परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय प्रभाकर सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रामें वि.सं. २०५० का कार्तिक सुदी-११ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। राधनपुर की प्राचीन पाषाण की श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१ तथा अष्टमंगल-१ सुशोभित है। (२२०) श्री कुन्थुनाथजी भगवान गृह मन्दिर 'सीता निवास', तीसरा माला, गांजावाला लेन, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, मंडपेश्वर रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : ओ. ८९३ ३९ ९६, ८९५ ४८ ९२ - मूक्रेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री कनुभाई हिरालाल शाह हैं। श्री मूकेशभाईने अंतर भक्ति भावना जागृत करके इस गृह मन्दिर का निर्माण किया हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का जेठ वद-८ ता. १-६-९४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक पंच धातु की प्रतिमाजी-१ सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ सुशोभित है। (२२१) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सुमेर नगर कम्पाउण्ड में, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. ___टे. फोन : प्रवीणभाई - ८०६ २८ ६४, किरणभाई - ८०८ ३३ ७८ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक भीनमाल (राज.) निवासी सेठ श्री सुमेरमलजी हजारीमलजी लुक्कड हैं। इसके संचालक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ सुमेर नगर जैन ट्रस्ट है। इस गृह जिनालय की शिला स्थापना विधि पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म. के परिवार के प.पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०४४ का श्रावण मास में हुई थी। बाद में इसकी चल प्रतिष्ठा त्रिस्तुति जैन संघ के जैनाचार्य श्रीमद् राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. के मुनि श्री लोकेन्द्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४५ का माह सुदि-१२ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ, श्री शांतिनाथ, श्री आदिनाथ की पाषाण की ३ For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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