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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३० मुंबई के जैन मन्दिर बोरिवली (पश्चिम) (२११) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय जांबली गली, जैन देरासर लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे फोन : ८९८ ३३ ५७ जावन्तराजजी - ८०१ १३ ४७, भोगीलालभाई - ८०१ ३४ ०२ विशेष :- मुंबई महानगर में प्रथम प्रवेश करनेवाले पूज्य श्री मोहनलालजी महाराज के शिष्य आचार्य भगवन्त श्री जिनऋद्धिसूरीश्वरजी म. के सद् उपदेश से यहाँ के मन्दिर और उपासरा के लिये जमीन १६०१ वार शा. मूलचन्दजी जुहारमलजी उत्तमचन्दजी व उनकी धर्मपत्नी रतनबेन सादडी (राजस्थान) वालो की तरफ से वि.सं. १९९६ का वैशाख सुद ३ अक्षय तृतीया के दिन भेट मिली थी। परम पूज्य मोहनलालजी म. के शिष्य ऋद्धिमुनिजी म. के शिष्य श्री गुलाबमुनिजी महाराज एवं परम पूज्य पंजाब केसरी आ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री पूर्णानन्दविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०११ का वैशाख सुदी ७ को प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। १६ वर्षों के बाद, वि.स. २०२७ में प्रौढ पुण्य प्रभावशाली श्री संघ के समर्थ सुकानी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. का पुण्य पदार्पण यहाँ के संघ की प्रबल विनंती से हुआ और आपकी निश्रा में यहाँ के छोटा सा जिनालय और छोटा सा जैन उपाश्रय का पुनरुद्धार कार्य का प्रारंभ हुआ। जिनालय के तीनो गंभारे के मूलनायकजी और उपरी मंजील के मूलनायकजी के परिकरो का निर्माण किया गया। उसके साथ मूलगंभारे में दो बाजु के दो गोखले में श्री सीमन्धर स्वामीजी आदि जिन बिम्बो के भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव और उसके साथ आपश्री की प्रभावक निश्रा में सर्व प्रथमबार श्री उपधान तप महा आराधना का मालारोपण महोत्सव वि.सं. २०२७ के माह सुदि १३ ता. ४-२-७१ को हुआ, तब से आज तक जिनालय का पुनरुद्धार कार्य चालु हैं। संपूर्ण जिनालय की काया पलट हो गई हैं। मारबल के भव्य शिखर, लाल पत्थरो से बना सामरण, घुम्मट और मेघनाद मंडप, त्रिचोकी, शणगार चोकी, खंभे आदि सब मारबल के बन गये हैं। प. पू. युग दिवाकर आचार्य गुरुदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली प्रेरणा व सदुपदेश से सारे मुंबई में अजोड और आलीशान उपाश्रय का निर्माण हुआ, जिनको देखते ही हम मंत्रमुग्ध बन जाते हैं। ऐसा विशाल और सर्व सुविधाओं से युक्त चार मंजील का उपाश्रय मुंबई महानगर का सर्व प्रथम उपाश्रय हैं। उसकी तुलना श्री गोडीजी जैन उपाश्रय से हो सकती हैं । उसका उद्घाटन, उसके प्रेरक पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०३६ का वैशाख सुदि ७ को हुआ था। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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