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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 मुंबई के जैन मन्दिर देवाधिदेव अचिंत्य चिंतामणि अरिहंत प्रभु के दर्शन-पूजा का फल ॐ जिनालय जाने की इच्छा करे........... १ उपवास का फल 9 जिनालय जाने के लिये खडा होवे...... २ उपवास का फल जिनालय जाने के लिये तैयार होते..... ३ उपवास का फल + जिनालय तरफ कदम बढाए..... ४ उपवास का फल 9 जिनालय के रास्ते चलते हुए..... ५ उपवास का फल है जिनालय के आधे रास्ते पहुँचने पर..... १५ उपवास का फल + जिनालय का दूर से दर्शन करने पर........ ३० उपवास का फल . जिनालय के पास आने पर..... ६ मास के उपवास का फल + जिनालय के गंभारे के पास आने पर..... १ वर्ष के उपवास का फल क प्रभुजीको प्रमार्जन / प्रदक्षिणा देने पर..... १०० वर्ष के उपवास का फल प्रभुजीकी (अष्टप्रकार से) पूजा करने पर.....१००० वर्ष के उपवास का फल प्रभुजी को सुगंधयुक्त माला पहनाने पर..... १ लाख वर्ष के उपवास का फल भावपूजा रुप चैत्यवन्दन - स्तवन - गीत - नृत्य से अनंत उपवास का फल या तीर्थंकर नाम कर्म बांधने का फल प्राप्त हो सकता है। अतः द्रव्य पूजा करने के बाद अवश्य भावपूजा - चैत्यवंदन करना चाहिये। सौजन्य: मूलचन्द गुलाबचन्द महेता परिवार गृहमन्दिर (टे. फो.: ३०७ ६८७०) ७०४-बी, अरिहंत एपार्टमेन्ट, ३१, डी. बी. मार्ग, मुम्बई सेन्ट्रल स्टेशन के सामने, मुंबई नं. ४०० ००८. For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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