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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर 13 | मुंबई : इतिहास एवं विकास मुंबई के जैन मन्दिरो का इतिहास की पुस्तक पढ़ने के पहले हमें मुंबई के जन्म का इतिहास एवं विकास जानना जरुरी हैं। ___मुंबई समाचार' में ता. १२-५-१९९१ के प्रकाशित लेख के अनुसार ई. स. १६६१ जून महिने की २३ तारीख को पोर्तुगलने अंग्रेज राजा चार्ल्स द्वितीय को मुंबई शहर शादी के प्रसंग में भेट दिया था, जिसे ३३० वर्ष पूरे हो रहे थे और इस दिन मुंबई का जन्म दिन बड़े धूमधाम से मनाने का प्रस्ताव म्युनिसिपल आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। ___ पोर्तुगल के राजा की बहन शाहजादी केथेरीना ब्रगान्झा का विवाह ईसवी सन् १६६१ की जून की २३ तारीख को इंग्लेण्ड के राजा चार्ल्स द्वितीय के साथ हुआ था । चार्ल्स को मुंबई टापू के साथ आठ किल्ले, पीत्तल की चार तोपे, और ४८७९ पौण्ड की राशि दहेज के रुप में मिली थी। जब इंग्लेण्ड का नाव काफला, १६६२ के सितम्बर की १९ तारीख को मुम्बई पर कब्जा लेने मुंबई आया, तब वसई-मुंबई के गवर्नर वाईस टॉप अन्टोनियो डी'मेलो कारगो ने कब्जा देने से इन्कार कर दिया था, अत: दूसरे दो वर्ष निकल गये और ईसवी सन् १६६४ में ५ नवम्बर को मुंबई पर अंग्रेजो को वास्तविक सत्तात्मक अधिकार प्राप्त हुआ था। मुंबई के अंग्रेजो के अधिकार में आने के बाद लगभग १९० वर्षों के बाद प्रगति के पथ पर तेजी से बढने लगा। सन १८५०-१८६० के बीच में राजस्थानी (मारवाड़ी), गुजराती, कच्छी एवं पारसी समाज का आगमन हो चूका था। व्यापारियों को व्यापार-उद्योग में परिवहन की सुविधा मुंबई में सन् १८५३ ई. में रेल्वे लाइन शुरु हो जाने पर प्राप्त हुई । ब्रिटिश सरकार की इच्छा तो कलकत्ता से प्रथम रेल्वे लाईन शुरु करने की थी, परन्तु उसका श्रेय मुंबई को प्राप्त हुआ। ई. सन १८४८ में मुंबई से कल्याण तक की ३५ मील की रेल्वे लाईन डालने की ईजाजत मिली। उसके लिये खर्च ५ लाख पौंड अनुमानित आँका गया। ये पाँच लाख पौण्ड जमा करके ३० हजार पौंड अंग्रेज सरकार के पास डिपोजीट रखने की शर्त रखी गई। सरकार रेल्वे के लिये जमीन ९९ वर्ष के रजिस्टर के अनुसार देगी, परन्तु सरकार अपनी इच्छानुसार चाहे जब रेल्वे कंपनी खरीद सकती हैं। शनिवार ता. १६ अप्रैल १८५३ के दिन दोपहर साढे तीन बजे पहली ट्रेन बोरीबंदर से थाणा जाने के लिये रवाना हुई थी। इस ट्रेन में इंजिन और १८ डब्बे जोडे गये थे। गाड़ी में ५०० यात्रियों को बैठने की व्यवस्था की गयी थी। यह दिन मुंबई में छुट्टी का दिन घोषित किया गया था। प्रथम गाडी का दर्शन के लिये लोगो में अपार उत्साह था। मुंबई से थाणे का २० मील का अंतर काटने में For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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