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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४ मुंबई के जैन मन्दिर - अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन :८३८ ३७ ३० अरविंदभाई विशेष :- यहाँ ३५ वर्षो से मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान पंचधातु के पूजे जा रहे हैं। वि.सं. २०४५ में अंधेरी (पूर्व) श्री शंखेश्वर जिनालय संघ में चातुर्मास बिराजमान प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. के आदेश से पधारे हुए उनके विद्वान शिष्य प. पू. बालमुनि श्री राजरत्न विजयजी म. सा. की शुभ निश्रा में यहाँ पर्युषण पर्व आराधना का प्रारंभ हुआ था। तब से आज तक यहाँ वह आराधना अखंड रुप से चल रही है। वर्षों के बाद यहाँ परम पूज्य आचार्य विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०५२ का काती सुद १३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री आदीश्वर भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा श्री स्थंभन पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं । कांच के बनाये भव्य पटो में श्री शत्रुजय, श्री पावापुरी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री तारंगाजी, श्री सिद्धचक्रजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, श्री पद्मावती, श्री भैरूजी व श्री गौतमस्वामी भी दर्शनीय हैं। गंभारे के बाहर आरस का बनाया समवसरणजी भी अति सुन्दर हैं । यहाँ श्री आदीश्वर जैन आराधना मंडल हैं। (१३५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मोहन स्टुडियो, पद्मनगर, सी - विंग, ६ फ्लोर, अंधेरी - कुर्ला रोड, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५९. टे. फोन : ओ.८३६ ८२ ०३, अनुभाई - ३४२ ६७ ९२ विशेष :- श्री पद्मनगर जैन संघ द्वारा इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०४५ का वैशाख सुद १० को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजयमोहन - प्रताप - धर्म - यशोदेवसूरीश्वर के शिष्य प. पू. आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आचार्य श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में हुई थी। इस गृह मन्दिरजी के संचालन चिंतामणि डेवलपर्स संभाल रहे हैं। वर्तमानमें यहां शिखरबद्ध जिनालय बन रहा हैं। यहाँ पंचधातु के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री सुमतिनाथ For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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