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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८० (१२७) www.kobatirth.org (१२८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री धर्मनाथ स्वामी भगवान गृह मंन्दिर १०२, अनुराधा बिल्डींग, पहला माला, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ६२०५३ ५० देवचन्दभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री देवचन्दभाई धनजी परिवार वाले हैं। इसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का वैशाख सुद ६ को हुई थी । यहाँ पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं । श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मीनु - मिनार को. सोसायटी बिल्डींग में, ग्राउण्ड फ्लोर, वीरा देसाई रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०००५३. टे. फोन : ६२६ ७३ ४१ सुरेशभाई विशेष : - इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं । मार्गदर्शक एवं प्रेरणा दाता परम पूज्य आ. भगवन्त श्री मोहन - प्रताप धर्म परिवार के परम पूज्य आचार्यदेव श्री विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म. ( आत्मबंधु) की शुभ निश्रा में चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०५० का काति वद १० बुधवार ता. ८-१२-९३ को हुई थी । परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से चेम्बर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री शीतलनाथ प्रभु ये तीनो आरस की प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। एक तरफ गोखले में श्री पद्मावती देवी के अलावा दिवार पर श्री शत्रुंजय, श्री सम्मेत शिखरजी के पट व चिन्तामणि पार्श्वनाथ का फोटो भी दर्शनीय हैं। मन्दिरजी के बाजू में आराधना भवन तथा पाठशाला भी चालु हैं। ❀ (१२९) श्री ऋषभदेव भगवान गृह मन्दिर धुप छाँव बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, ग्राउन्ड फ्लोर, नवकिरण मार्ग, चार बंगला, मेन रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०००५३. टे. फोन : ६२३ ३३ १७ डुंगरशीभाई ६२३०७ ७९ उमरशीभाई For Private and Personal Use Only - विशेष :- श्री ऋषभदेवजी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन देरासर द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२२ का फागुण वद ३ मंगलवार ता. ८-३ - १९६६ को हुई थी।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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