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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६ मुंबई के जैन मन्दिर _ वि. सं. २०३८ का जेठ सुद ५ ता. २७-५-८२ को प. पू. आ. भ. श्री अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. की निश्रा में गुरू गणधर श्री गौतम स्वामी की प्रतिमा को शा मणिलाल रतनचन्द शाह (पाटण) वालो ने स्थापित की। श्री मणिभद्रवीर के गोखले का नूतनीकरण का लाभ शा. धेवरचन्दजी दीपचन्दजी तातेड (धाकडी - राजस्थान) श्री यक्षिणीदेवी के गोखले का नूतनीकरण का लाभ कुन्दन ज्वेलर्स - अंधेरी (प.) के द्वारा सम्पन्न हुआ। श्री अधिष्ठायक देव के गोखले का नूतनीकरण का लाभ शा. मुलतानमलजी हीराचन्दजी संदेशा मुथा (रामाजी गुडा) ने लिया। वि.सं. २०४५ का पोष वद १ ता. २१-१-८९ को प. पू. आ. भ श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी म. की निश्रा में भगवान श्री आदिनाथजी की प्रतिमाजी को शा. धीसुलालजी कुन्दनमलजी हींगड (घाणेराव) परिवार ने बिराजमान की हैं। इस वक्त मन्दिरजी में आरस की १८ प्रतिमाजी, पंचधातु की १८ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी १७ वगैर शोभायमान हो रहे है। यहाँ शांतावाडी में २ भव्य उपाश्रय एवं व्याख्यान भवन की व्यवस्था हैं। श्री वर्धमान तप आयंबिल शाळा, श्री आत्मवल्लभ जैन पाठशाळा, श्री आत्मवल्लभ जैन लायब्रेरी तथा श्री अंधेरी जैन स्वयंसेवक मण्डल की भी सेवा - संगीत में अनोखी प्रवृत्ति हैं। (१२१) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर संघवी विला, इरला ब्रिज, बम्बाखाना के सामने, ७५ स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. टे. फोन : ६२० ८८४८, ६२८ ३० १३ शेवन्तीलालभाई विशेष :- अंधेरी विभाग में सबसे प्राचीन गृहमन्दिर यही हैं । इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठीवर्य श्री नगिनदास करमचन्द संघवी हैं । स्थापना वि. सं. १९७५ का माह सुद ५ को हुई थी किन्तु वि.सं. १९८२ वैशाख सुदी ३ अक्षय तृतीया के शुभदिन राधनपुर के निवासी सेठ श्री कमलभाई गुलाबचन्दजी की क्रिया विधि द्वारा प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के मूलनायक संप्रत्ति महाराजा के समय के लगभग २२०० वर्ष से अधिक प्राचीन हैं। यहाँ पंचधातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ९ सुशोभित हैं । धन्य है मन्दिरजी के निर्माता को जिससे आज भी प्राचीन गृह मन्दिरजी की कलाकृति का दर्शन प्राप्त होता हैं। (१२२) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर टोप हिल बंगला, अलका एपार्टमेन्ट, सी विंग, पहला माला, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. 'टे. फोन : ६२१ १२ ८२ कीर्तिभाई, ६२१ ०९०१ नरेन्द्रभाई For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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