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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ एवं श्री नाकोडाभैरूजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, यक्ष-यक्षिणी श्री सिद्धायिका देवी, श्री प्रासाददेवी तथा विभिन्न तीर्थो के ५ पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री महावीर नव युवक मंडल तथा श्री महावीर महिला मंण्डल व उपाश्रय की व्यवस्था हैं। (९८) (खार (पश्चिम) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय पाँचवा रास्ता, खार (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०५२. टे. फोन : ओफिस - ६४६ ३२ ४० मूलचन्दभाई ६४६ २४ १८ विशेष :- परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में सर्व प्रथम २०२५ का कार्तिक वद १२ ता. १२-४-६८ को यहाँ संघ की ओर से गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी। बाद में खार जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा निर्मित नूतन जिनालय संपूर्ण संगमरमर का दो मंजिल का और भव्य शिखर से शोभायमान हो रहा हैं। इस नये मन्दिर की अंजनशलाका व प्रतिष्ठा का भव्य महोत्सव श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म.आदि परिवार की प्रभावक निश्रा में वि. सं. २०४५ को वैशाख सुदि ६ को बडी धामधूमसे हुआ था। नीचे ग्राउन्ड फ्लोर पर भी श्री मुनिसुव्रत भगवान बिराजमान किये गये हैं। प्रथम मंजिल पर आरस के ५ प्रतिमाजी पंच धातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ बिराजमान हैं। २ यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाजी हैं। दुसरी मंजिल पर आरस के ७ प्रतिमाजी, पंच धातुकी १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी १ बिराजमान हैं। प्रतिष्ठा के समय कच्छी - राजस्थानी और गुजराती समाज के भाई-बहनो ने खूब उत्साह और भाईचारे से महोत्सव तन मन धन से परिपूर्ण किया। श्री संघ के बंधारण अनुसार कच्छी राजस्थानी एवं गुजराती समाज के प्रत्येक के दो दो ट्रस्टी कुल ६ ट्रस्टीयो संप सलाहानुसार व्यवस्था अच्छी तरह संभाल रहे हैं। ____ यहाँ श्री मुनिसुव्रत महिला मंडल, श्री पद्मावती महिला मंडल खुब ही प्रवृत्त हैं । सुधर्म सामायिक मंडल सामायिक आराधना करते है एवं कराते हैं । छोटे बच्चो में सुसंस्कार का सिंचन करने ज्ञान गोष्ठी, For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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