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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (९४) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कापड बाजार, माहिम मुंबई - ४०० ०१६. टे. फोन : ओ. ४४५ ३० ७४ - नेनमलजी ४४६ १५ १३ जगदीशजी ४४६ ५१ ८१ विशेष :- यह मन्दिर मुंबई नगर एवं उपनगर का सबसे प्राचीन पहले नंबर का १९२ वर्ष पुराना हैं। जिसकी प्रथम प्रतिष्ठा विक्रम संवत १८६२ का वैशाख सुद १३ को हुई थी। परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन प्रेरणा से एवं आपके मार्गदर्शनानुसार मन्दिरजी के जीर्णोद्धार का श्री गणेश किया था तथा नूतन जिनालय खूब ही सुन्दर एवं विशाल बना, जिसकी प्रतिष्ठा प. पू. युगदिवाकर सूरि भगवंत की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०३८ में होनेवाली थी। लेकिन उस समय फागुण सुदी १३ को आपका स्वर्गवास होनेसे बाद में प्रतिष्ठा श्री मोहन-प्रताप-धर्म- यशोदेवसूरीश्वर के पट्टधर शतावधानी आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४२ का जेठ सुद ६ ता. १३-६-८६ शुक्रवार को बडे ठाठमाठ से सम्पन्न हुई थी और श्री वासुपूज्य स्वामीजी आदि की नई प्रतिमा भी बिराजमान की गई है। इस जिनालय के प्रथम खण्ड में आरस के ९ प्रतिमाजी, पंचधातु के १५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी६ के अलावा श्री मणिभद्र वीर, श्री नाकोडा भेरुजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । पावापुरी शोकेस के साथ दिवारो पर शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ, सम्मेतशिखरजी तीर्थ एवं अष्टापद तीर्थ आरस पर बनाये दर्शनीय हैं। दूसरी मंजील पर आरस की ३ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की १ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । यहाँ पर श्री घंटाकर्ण वीर, श्री राणकपुर, श्री नेमिनाथ प्रभु के नौ भव, सिद्धचक्रजी महायंत्र तथा पार्श्व यक्ष एवं पद्मावती देवी सुशोभित है। तीसरी मंजील पर आरस के पार्श्वनाथ, शान्तिनाथ व नेमिनाथ प्रभु बिराजमान हैं। श्री जैन आदीश्वरजी महाराज माहिम तड एण्ड चेरीटिज ट्रस्ट द्वारा संचालित इस जिनालय के बाहर की ओर ओफिस एवं सामने प्याऊ बनी हुई हैं । यहाँ श्री जैन स्वयं सेवक मण्डल बैण्ड पार्टी तथा संगीत पार्टी, श्री आदीश्वर महिला मंडल, श्री आत्मवल्लभ महिला मंडल, श्री आदीश्वर जैन पाठशाला, लायब्रेरी तथा आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। सुंदर उपाश्रय भी दो मंजीलका हैं, जिनका उद्घाटन वि.सं. २०१५ में प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रा में हुआ था। आजकल इस उपाश्रय को विस्तृत बनाया जा रहा हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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