SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर इस गृह मन्दिर में पाषाण की श्री अरनाथ भगवान की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। उपर पहले माले पर मन्दिर तथा नीचे उपासरा हैं । जैन पाठशाला भी चालू हैं । (६९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कुन्थुनाथ भगवान गृह मन्दिर रसुल बिल्डींग, तीसरा माला, केशवराव खाड्ये मार्ग, सात रस्ता, संत घाडगे महाराज चौक, जेकब सर्कल मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०९०६ ६३ बाबुलालजी - ३०९०६ ९१, धर्मचंदजी ३०८ ३८ ४१ मूलचंदजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री सात रास्ता जैन संघ हैं । प. पू. आ. भ. श्री मोहन- प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. के आदेशसे शिष्यरत्न साहित्य कला प्रेमी मुनिराज श्री यशोविजयजी म. के शिष्य पू. मुनिराज श्री जयानन्दविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०१६ वीर संवत २४८६ का जेठ वद ७ को मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी । ४१ इस मन्दिरजी में आरस के तीन प्रतिमाजी मूलनायक श्री कुन्थुनाथजी तथा आजू बाजू में सीमन्धर स्वामी और मुनिसुव्रत स्वामी है। पंच धातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ के अलावा चारो तरफ दिवारो पर कांच के सुन्दर कलात्मक तीर्थो दृश्य एवं ऐतिहासिक दृश्य शोभायमान है । उपासरा, पाठशाला तथा श्री मरुधर सेवा संघ हॉल जेकब सर्कल में नाज बेकरी के उपर हैं । ( ७० ) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर गिरिविहार दर्शन, मुसा किलेदार गली, ग्राऊण्ड फ्लोर, केशवराव खाड्ये मार्ग, सात रस्ता, संत घाडगे महाराज चौक, मुंबई - ४०००११. टे. फोन : चंपालालजी - ३०८६२३८, नंदलालजी - ३०८२३७१ विशेष :- श्री गिरिविहार दर्शन सोसायटी जैन संघ इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक है | परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य भगवत विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. तथा आचार्य श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का कार्तिक वद १० बुधवार ता. ८-१२-९३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिरजी के प्रेरणादाता आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. थे । For Private and Personal Use Only - यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर भगवान पार्श्वनाथ तथा आजूबाजू श्री आदिनाथ प्रभु तथा श्री महावीर प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरुजी तथा पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं ।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy