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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म. के स्वर्गवास के बाद आ. श्री के कंधो पर संपूर्ण समुदाय के संचालन की जिम्मेदारी आ पडी । 7 आचार्य श्री द्वारा स्थापित पावागढ तीर्थ, आज अपनी अनोखी पहचान बनाने लग गया हैं । इस तीर्थ में आपने जैन चमत्कारिक शासनदेव श्री मणिभद्र वीर की १० मई वि.सं. २०५१ को ४१ इंच सर्वधातु की सुन्दर एवं कलात्मक प्रतिमा प्रतिष्ठित कर तीर्थ ख्याति में आशातीत बढोतरी करवाई हैं। वैसे भी आपश्रीजी को चमत्कारिक देव श्री मणिभद्र वीर के प्रत्यक्ष दर्शन का गौरव प्राप्त हुआ हैं । मुंबई भायखला चातुर्मास में श्री विजयान्द सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी पर इनके साहित्य आदि प्रकाशन करने के लिये फाउण्डेशन की स्थापना अपने आप में अद्वितीय उपलब्धि हैं । भारत के अनेक नगरो एवं गाँवो में आपकी प्रेरणा एवं निश्रा में अनेक जैन मन्दिर, उपाश्रय, जैन धर्मशालाएँ, अस्पताल, प्याऊ, पाठशालाएँ, पशुरक्षा गृह, पशुसेवा, संघ, उपधान तप इत्यादि नाना प्रकार के धार्मिक व सामाजिक कार्यो के लिये आपका नाम अग्रणीय है । सन् वि.सं. २०५३-५४ वर्ष आपके जन्म का ७५ वर्ष 'अमृत महोत्सव' रुप में मनाया गया था । हम शासनदेव से प्रार्थना करते कि आप श्री की आयु शासन सेवा के लिये बढती ही बढती जाए यही अंतर अभिलाषा हैं । आपका हार्दिक स्वागत करता है For Private and Personal Use Only गुरू भक्ति गीत - भाग - २ विमोचन शिवगंज पोरवाल जैन संघ के सन् १९९० के वार्षिक स्नेह सम्मेलन के अवसर पर 'साटिया' परिवार द्वारा गुरुभक्ति गीत (संयम धारा) भाग - २ लेखक - बी. एम. जैन द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसका शुभ संदेश आचार्य श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. से प्राप्त हुआ था । - लेखक
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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