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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान जिनालय नवजीवन सोसायटी के कम्पाउण्ड में लेमींग्टन रोड, डॉ. बाबा साहेब भडकमकर मार्ग, मुंबई सेन्ट्रल, मुंबई-४०० ००८. टे. फोन : ऑ. ३०१ १४ ०६ सुमेरजी-३०८७३ ३७ पुष्पकान्तभाई-३०९११८९, जीतुभाई-३०९ २४ ०४, ३०८७६६२ विशेष :- परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से इस मन्दिर की स्थापना हुई और उनकी शुभ निश्रा में वि.सं. २०३२ का आसौ वद १३ को प्रतिमाजी बिराजमान किये थे । प्रतिमाजी की अंजन शलाका आपकी निश्रामें वि. सं. २०२६ में घाटकोपर - संघाणी ईस्टेट जैन संघमें की गई थी। बाद में आप की प्रेरणा से, परम पूज्य आचार्य विजय नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरि के पट्टधर आ. श्री विजय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०३५ का फागुण सुद ३ गुरुवार ता. १-३-७९ को खूब ठाठमाठ से चल प्रतिष्ठा हुई थी। _ वि.सं. २०५२ का द्वितीय आषाढ सुद ५ रविवार ता. २१-७-९६ के दिन श्री गौतमस्वामी गणधर, श्री पार्श्वयक्ष, श्री सरस्वतीदेवी, श्री मणिभद्र वीर, श्री घंटाकर्ण वीर तथा श्री नाकोडा भैरुजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. तथा आ. श्री विजय सोमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे हुई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी में प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें अंजनशलाका की हुई और चेम्बूर तीर्थ से लाई गई ३-प्रतिमाजी मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान तथा आजु बाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री मल्लिनाथ स्वामी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। आरस पर बनाये गये पटो में श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी श्री आबुजी, श्री तारंगाजी, श्री गिरनारजी, श्री शंखेश्वरजी, श्री राणकपुरजी, श्री अष्टापदजी के तीर्थो के अलावा नागेश्वर पार्श्वनाथ का चित्र एवं अनेक ऐतिहासिक द्दश्यो से पुरी दिवार सुशोभित हैं। श्री नवजीवन जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ संचालित यहाँ शा. सुखराज डायाचन्दजी भीमाणी भीनमाल - एक नूतन उपाश्रय बना हैं। पूज्य साधु भगवंतो के लिये उपाश्रय बिल्डींग नं. १७ में पहले माले पर आया हैं। पूज्य साध्वीजी म. के लिये उपाश्रय मन्दिरजी के नजदीक नं. बी में पहले माले पर हैं। जैन पाठशाला तथा ओलीयो के दिनो में आयंबिल तप की आराधना होती हैं। यहाँ श्री भीड भंजन पार्श्व महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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