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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३७ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल-१ तथा पद्मावतीदेवी व शत्रुजय पट सुशोभित हैं। पाठशाला चालु हैं। (६२) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सोनावाला बिल्डींग नं.-८ के कम्पाउण्ड मे, ताडदेव, मुंबई-४०० ०३६. टे. फोन : ४९४ ०४ ८७ ताराचंदजी, ४९२ ९० ९४ चंपालालजी विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री ताडदेव श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इस मन्दिरजी की सर्व प्रथम स्थापना वि.सं. २०१२ का मगसर सुद ६ को हुई थी। उस वक्त प्रतिमाजी मेहमान के रुप में बिराजमान थे। परम पूज्य आ. विजय नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री जयचंद्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३५ का फागुण सुद १० गुरुवार ता. ८-३-७९ को हुई थी। अंतिम प्रतिष्ठा परम पूज्य आत्म-वल्लभ-समुद्र के पट्टधर आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का फागुण सुद १० बुधवार तारीख २८-२-९६ को हुई थी। इस गृह मन्दिरजी में मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रतस्वामी तथा श्री पार्श्वनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६, सिद्धचक्रजी-६, अष्टमंगल-१, यंत्र ४ के अलावा श्री नमस्कार महायन्त्र, श्री सिद्धचक्र महायन्त्र, श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री शंखेश्वरजी, श्री गिरनारजी, श्री राणकपुरजी, श्री अष्टापदजी इन सभी तीर्थो की रचना विशेष रुप से दर्शनीय हैं। यहाँ उपासरा एवं जैन पाठशाला की व्यवस्था है। (६३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर अरविन्द कुंझ सोसायटी के कम्पाउण्ड में, ताडदेव, मुंबई - ४०० ०३४. टे. फोन : घर : ४९४ ४७ ६३ - सुमेरमलजी विशेष :- सुप्रसिद्ध बिल्डर्स एवं मन्दिर निर्माता श्रेष्ठिवर्य श्री सुमेरमलजी लुक्कड राजस्थान भीनमाल निवासी ने इस गृहमंदिरजी की स्थापना की हैं। यह मन्दिर ताडदेव एयर कंडीशन मार्केट के सामने के लाईन में आया हैं। परम पूज्य आ.भ. श्री मोहन-प्रताप के पट्टधर प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से उनकी निश्रामें वि.सं. २०३२ का माह सुद १४ को प्रतिष्ठा हुई थी। धोलवड में २०३० में प.पू. युग दिवाकर गुरुदेव की निश्रामें अंजनशलाका की हुई ३१" + ८=३९" की शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की मूलनायक प्रतिमाजी के साथ श्री आदिनाथ प्रभु एवं शांतिनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी पाषाण की, पंच धातुकी १० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इसके अलावा श्री पद्मावती माताजी, श्री राजेन्द्र गुरु की प्रतिमाजी भी For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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