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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (५८) www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी तथा श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- २, अष्टमंगल - १ तथा श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। यहाँ पाठशाला चालु हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रान्ट रोड (पूर्व) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर अप्सरा टॉकिज के बाजू में शान्तिसदन, ग्राउण्ड फ्लोर, लेमींग्टन रोड दादासाहेब भडकमकर मार्ग, ग्रान्ट रोड (पूर्व), मुंबई - ४००००७. टे. फोन : ३०८ ३८६० - देवीचन्दजी (५९) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी की स्थापना और संचालन करनेवाले श्रीमती सोनीबाई मूलचन्द पालगोता हैं । यहाँ आरस के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी और श्री वासुपूज्य स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल१ सुशोभित हैं । ३५ परम पूज्य आ. विजय केशरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजयचन्द्रसूरि म. के पट्टधर आ. विजय भुवनरत्नसूरीश्वरजी म. के पट्टधर शिष्य आ. विजय यशोरत्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री दिव्ययशविजयजी महाराज की शुभ प्रेरणा व निश्रा में वि. संवत २०४७ का मगसर वद ५ शुक्रवार ता. ६-१२-९० के प्रात:काल ६ क. १५ मी. को स्थापना हुई थी । ❀ ❀ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर २०५ ई बिल्डींग, दूसरा माला, भारत नगर, ग्रान्ट रोड, मुंबई - ४००००७. टे. फोन : सुमेरजी - ३०७८६०५, ३०९७६३३ विशेष :- श्री भारतनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा शासन सम्राट आचार्य विजय नेमि विज्ञान - कस्तूरसूरि समुदाय आचार्य विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा मे वि.सं. २०३४ का वैशाख सुद५ को हुई थी । For Private and Personal Use Only यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू मे श्री आदिनाथ व श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की १२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - १ तथा पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा एवं श्री राजेन्द्रसूरि सम्यग्ज्ञान मन्दिर पाठशाला की व्यवस्था है ।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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