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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महोपाध्याय समयसुन्दरगणिकृत श्री गौतम स्वामी अष्टक प्रह ऊठी गौतम प्रणमीजइ, मन वंछित फल नौ दातार । लबधि निधान सकल गुण सागर, श्री वर्द्धमान प्रथम गणधार ।। प्र. १॥ गौतम गोत्र चौदह विद्या निधि, पृथिबी मात पिता वसुभूति । जिनवर वाणी सुण्या मन हरखे, बोलाव्यो नामे इन्द्रभूति ।। प्र० २।। पंच महाब्रत लेइ प्रभु पासे, ये त्रिपदी जिनवर मन रंग। श्री गौतम गणधर तिहां गूंथ्या, पूरब चउद दुवालस अंग ।। प्र० ३॥ लब्धे अष्टापद गिरि चढ़ियो, चैत्यवंदन जिनवर चौवीस । पनरेसे तोडोत्तर तापस, प्रतिबोधी कीषा निज सीस ।। प्र. ४ । अद्भुत ए सुगुरु नी अतिशय, जसु.दीखइ तसु केवलनाण । जाव जीव छठ छठ तप पारणे, आपण पै गोचरीय मध्याह्न ॥ प्र० ५। कामधेनु सुरतरू चिंतामणि, नाम माहि जस करे रे निवास । ते सद्गुरु नो ध्यान धरता, लाभइ लक्ष्मी लील विलास ।। प्र० ६॥ लाभ घणो विणजे व्यापारे, आवे प्रवहण कुशले खेम । ए सद्गुरु नो ध्यान धरंता, पामै पुत्र कलत्र बहु प्रेम ।। प्र० ७॥ गौतम स्वामी तणा गुण गातां, अष्ट महासिद्धि नवे निधान । समयसुन्दर कहै सुगरू प्रसादे, पुण्य उदय प्रगव्यो परधान ॥ प्र०८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020451
Book TitleKundalpur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherMahendra Singhi
Publication Year
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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