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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 526 . कालिदास पर्याय कोश 3. अम्बिका :-स्त्री० [अम्बा+स्वार्थे कन्, स्त्रियां टाप्] दुर्गा, पार्वती, शिवा। आशीर्भिरेधयामासुः पुरः पाकाभिरम्बिकाम्।। 6/90 उन्होंने अम्बिका को ऐसे आशीर्वाद दिए, जो तत्काल फल देने वाले हों। इत्युदारमभिधाय शंकरस्तामपाययत् पानमम्बिकाम्। 8/77 यह लुभावनी बात कहकर शंकरजी ने बड़ी उदारता से वह मदिरा पार्वती जी को पिला दी। 4. उमा :-स्त्री० [उ, भो, मा तपस्यां कुर्विति] पार्वती, शिवा। उमेति मात्रा तपसो निषिद्धा पश्चादुमाख्यां सुमुखी जगाम्। 1/26 जब पार्वती को उनकी माता ने उमा [उ-हे वत्से, मा-तप मत करो] कहकर तपस्या करने से रोका था, तब से उनका नाम उमा पड़ गया था। उमापि नीलालकमध्य शोभि विस्रंसयन्ती नवकर्णिकारम्। 3/62 पार्वती जी के काले-काले बालों में गुंथे हुए कर्णिकार के फूल पृथ्वी पर बिखर गए। उमा समक्षं हरबद्धलक्ष्यः शरासन ज्यां मुहुराममर्श। 3/64 वह पार्वती जी के आगे बैठे हुए शिवजी पर ताक-ताक कर धनुष की डोरी खींचने ही तो लगा। उमां स पश्यन्नृजुनैव चक्षुषा प्रचक्रमे वक्तुमनुज्झित क्रमः। 5/3 पार्वती जी की ओर एकटक देखते हुए बिना रुके बोलना प्रारम्भ कर दिया। आसन्न पाणि ग्रहणेति पित्रोरुमा विशेषोच्छवसितं बभूव। 7/4 हिमालय और मेना दोनों को पार्वती जी ऐसी प्राण से बढ़कर प्यारी लग रही थीं, मानो बहुत दिनों पर मिली हों या अभी जी कर उठी हों, क्योंकि विवाह हो जाने पर वे अभी वहाँ से चली जाने वाली थीं। अखण्डितं प्रेम लभस्व पत्युरित्युच्यते वाभिरुमा स्म नम्रा। 7/28 लाज से सकुचाती हई पार्वती जी को सब सखियों ने यह आशीर्वाद दिया. कि तुम्हारे पति तुम्हें तन-मन से प्यार करें। उमातनौ गूढ़तनोः स्मरस्य तच्छिंकनः पूर्वमिव पुरोहम्। 7/76 पार्वती जी का वह लाल-लाल उँगलियों वाला हाथ ऐसा लगता था, मानो महादेव जी के डर से छिपे हुए कामदेव के अंकुर पहले-पहल निकल रहे हों। 5. गौरी :-स्त्री० [गौर+'षिद्गौरादिभ्य श्च' इति ङीष] पार्वती। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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