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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 516 कालिदास पर्याय कोश तस्योपकण्ठे घननीलकण्ठः कुतूहलादुन्मुखपौरदृष्टः। 7/51 उसी नगर के पास बादलों के समान नीले कण्ठ वाले महादेव जी, उस आकाश से पृथ्वी पर उतरे। 28. नीललोहित :-पुं० [नीलश्चासौ लोहित श्चेति। वर्णो वर्णन' इति समासः] शिव, महादेव। अंशादृते निषिक्तस्य नील लोहितरेतसः। 2/57 महादेवजी के वीर्य से उत्पन्न पुत्र के अतिरिक्त उसका नाश और कोई दूसरा नहीं कर सकता। 29. परमेश्वर :-पुं० [परमश्चासौ ईश्वश्चेति] शिव। उपचिन्वनप्रभां तन्वीं प्रत्याह परमेश्वरः। 6/25 सिर पर बैठे हुए बाल चन्द्रमा की मन्दी चमक को बढ़ाते हुए महादेवजी उनसे बोले। 30. पुंगवकेतु :- शिव, शंकर, महादेव। रोमोद्गमः प्रादुरभूदुमायाः स्विन्नांगुलिः पुंगव केतुरासीत्। 7/77 हाथ पकड़ते ही पार्वतीजी को भी रोमांच हो आया और महादेव जी की उँगलियों से भी पसीना छूटने लगा। 31. पुरारिम् :-महादेव, शिव, शंकर। असध्य हुँकार निवर्तितः पुरा पुरारिम प्राप्त मुखः शिलीमुखः। 5/54 उस समय कामदेव ने शिवजी के ऊपर जो बाण चलाया था, वह उस समय तो उनकी हुँकार सुनकर लौट गया। 32. प्रभु :-त्रि० [प्रभवतीति, प्र+भू+'विप्रसंभ्यो ऽ व संज्ञायाम् इति डु] महादेव, ईश्वर, शंकर। क्रोधं प्रभो संहरं संहरेति यावगिरः खे मरुतां चरन्ति। 3/72 यह देखते ही एक साथ सब देवता आकाश में चिल्ला उठे,-हैं, हैं, रोकिये रोकिये, अपने क्रोध को प्रभु। सारुन्धतीका सपदि प्रादुरासन्पुरः प्रभोः। 6/4 अरुन्धती को साथ लेकर तत्काल शंकर जी के आगे सातों तपस्वी आकर खडे हो गए। 33. पिनाक पाणि :-महादेव, शिव, शंकर। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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