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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 895 ऋतुसंहार कृतापराधानपि योषितः प्रियान्परिष्वजन्ते शयने निरन्तरम्। 2/11 चौंकी हुई स्त्रियाँ सोते समय अपने दोषी प्रेमियों से भी लिपटी जाती हैं। माला: कदम्बवनकेसरकेतकीभिरायोजिताः शिरसि बिभ्रति योषितोऽद्य। 2/21 इन दिनों नई केसर, केतकी, और कदंब के नए फूलों की मालाएँ गूंथकर स्त्रियाँ अपने जूड़ों में बाँधती हैं। बहुगुणरमणीयो योषितां चित्तहारी परिणतबहुशालिव्याकुलग्रामसीमा। 4/19 जो अपने अनेक गुणों से मन को मुग्ध करने वाली और स्त्रियों के चित्त को लुभाने वाली है, जिसमें गाँवों के आस-पास पके हुए धान के खेत लहलहाते अपगतमदरागा योषिदेका प्रभाते कृतनिविड कुचाग्रा पत्युरालिङ्गनेन। 5/11 एक स्त्री के मुख पर मद की लाली भी नहीं रह गई है और पति की छाती से लगे रहने के कारण उसके स्तनों की धुंडियाँ भी कड़ी हो गई हैं। उपसि वदनबिम्बैरंसक्तकेशैः श्रिय इव गृहमध्ये संस्थिता योषितोऽद्य।5/13 इन दिनों प्रातः काल के समय स्त्रियों के कंधों पर फैले हुए बालों वाले गोल-गोल मुखों को देखकर ऐसा लगता है, मानो घर-घर में लक्ष्मी आ बसी हों। गुरुतरकुचयुग्मं श्रोणिबिम्बं तथैव न भवति किमिदानीं योषितां मन्मथाय। 6/33 स्त्रियों के बड़े-बड़े गोल स्तन वैसे ही बड़े-बड़े गोल नितंब, क्या लोगों के मन में कामदेव को नहीं जगा रहे हैं। 13. यौवना - तरुणी, जवान स्त्री, युवती। संसूच्यते निर्दयमङ्गनानां रतोपभोगो नवयौवनानाम्। 4/13 इससे यह पता चल रहा है कि नवयुवतियों के प्रेमी उनका जी जान से संभोग कर रहे हैं। गुरूणि वासांस्यबलाः सयौवनाः प्रयान्ति कालेऽत्र जनस्य सेव्यताम्। 5/2 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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