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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 894 कालिदास पर्याय कोश स्त्रियों की लटों में फूल और नवमल्लिका की खिली हुई कलियाँ बड़ी सुहावनी लगने लगी हैं। अङ्गान्यनङ्गः प्रमदाजनस्य करोति लावण्यससंभ्रमाणि। 6/10 स्त्रियों में इतनी कामवासना भर आती है कि उनके सारे शरीर में कुछ अनोखा ही रसीलापन आ जाता है। भ्रूक्षेपजिह्मानि च वीक्षितानि चकार कामः प्रमदाजनानाम्। 6/13 काम से भरी हुई स्त्रियों की टेढ़ी भौंहों से उनकी चितवन बड़ी कटीली लगती 9. मनस्विनी - [मनस् + विनि + ङीप्] उदार मन की या अभिमानिनी स्त्री, सती स्त्री। आकम्पितानि हृदयानि मनस्विनीनां वातैः प्रफुल्लसत्कार कृताधिवासैः। 6/34 बौरे हुए आम के पेड़ों में बसे हुए पवन से मनस्विनी स्त्रियों के मन भी डिग जाते हैं। 10. मानिनी - [मान् + णिनि + ङीष्] आत्माभिमानिनी स्त्री, कुपित स्त्री। इषुभिरिव सुतीक्ष्णैर्मानसं मानिनीनां तुदति कुसुममासो मन्मथोद्दीपनाय। 6/29 अपने पैने बाणों से वसंत मानिनी स्त्रियों के मन इसलिये बींध रहा है कि उनमें प्रेम जग जाए। 11. युवती - [युवन् + ति, ङीप वा] तरुणी स्त्री, तरुणी। दिवसकरमयूखैर्बोध्यमानं प्रभाते वरयुवतिमुखाभं पङ्कजंजृम्भतेऽद्य। 3/25 प्रातः काल जब सूर्य अपने करों से कमल को जगाता है, तब वह कमल सुंदरी युवती के मुख के समान खिल उठता है। 12. योषिता - [यौति मिश्रीभवति - यु + स + टाप्, योषित् + यप्] स्त्री, लड़की, तरुणी, जवान स्त्री। सितेषु हर्येषु निशासु योषितां सुखप्रसुप्तानि मुखानि चन्द्रमाः। 119 रात के समय उजले भवन में सुख के सोई हुई युवती का मुख निहारने को उतावला रहने वाला चंद्रमा। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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