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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 887 ऋतुसंहार हारैः सचन्दनरसैः स्तनमण्डलानि श्रोणितटं सविपुलं रसनाकलापैः। 3/20 अपने स्तनों पर मोतियों के हार पहनती हैं और चंदन पोतती हैं, अपने भारी-भारी नितंबों पर करधनी बाँधती हैं। विलासिनी स्तनशालिनीनां नालंक्रियन्ते स्तनमण्डलानि। 4/2 बड़े-बड़े स्तनों वाली अलबेली स्त्रियाँ अपने गोल-गोल स्तनों को नहीं सजातीं। पीनस्तनोरः स्थलभागशोभामासाद्य तत्पीडनजात खेदः। 4/7 मोटे-मोटे स्तनों को छातियों पर देखकर सुख पाने वाला हेमंत उन स्तनों को मले जाते देखकर दुखी हो रहा है। दन्तच्छदैः सव्रणदन्तचिह्नः स्तनैश्च पाण्यग्रकृताभिलेखैः। 4/13 ओों पर दाँत से घाव कर दिए हैं, और स्तनों पर अपने नखों से चिह्न बना दिए पीनोन्नतस्तनभरानतगात्रयष्ट्यः कुर्वन्ति केशरचनामपरास्तरुण्यः।4/16 जिन स्त्रियों के शरीर, मोटे और ऊंचे स्तनों के कारण झुक गए हैं, वे अपने बालों को संवार रही हैं। मनोजकूर्पासकपीडितस्तनाः सरागकौशेयकभूषितोरवः। 5/8 सुंदर चोलियों से अपने स्तन कसे हुए, जाँघों पर रेशमी कपड़े पहने हुए। पृथुजघनभरार्ताः किंचिदानम्रमध्या . स्तनभरपरिखेदान्मन्दमन्दं व्रजन्त्यः। 5/14 मोटे नितंबों के बोझ से दुखी, अपने स्तनों के बोझ से झुकी हुई कमरवाली और थकने के कारण बहुत धीरे-धीरे चलने वाली। नखपदचितभागान्वीक्षमाणाः स्तनान्अधरकिसलयाग्रं दन्तभिन्नं स्पृशन्त्यः। 5/15 नखों के घावों से भरे हुए स्तनों को देखती हुई प्यारे के दाँतों से कटे हुए अपने कोंपलों के समान कोमल अधरों को छूती हुई। कुर्वन्तिनार्योऽपि वसन्तकाले स्तनं सहारं कुसुमैर्मनोहरैः। 6/3 वसंत के समय स्त्रियाँ भी अपने स्तनों पर मनोहर फूलों की मालाएँ पहनने लगी हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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