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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 875 ऋतुसंहार मधुसुरभि मुखाब्जं लोचने लोध्रताने नवकुरबक पूर्णः केशपाशो मनोज्ञः। 6/33 आसव से महकता हुआ स्त्रियों का कमल के समान मुख, उनकी लोध जैसी लाल-लाल आँखें, नए कुरबक के फूलों से सजे हुए उनके बालों के जूड़े। 3. शिरांस/शिरांसि - [शृ + असुन् + अंस] सिर के बाल। शिरांसि कालागरुधूपितानि कुर्वन्तिनार्यः सुरतोत्सवाय। 4/5 संभोग की तैयारी में युवतियाँ कालागरु का धूप देकर अपने केश सुगंधित करती हैं। शिरोरुह - [शृ + असुन् + रुहः] सिर के बाल। शिरोरुहैः स्नानकषायवासितैः स्त्रियो निदाघं शमयन्ति कामिनाम्। 1/4 गर्मी से सताए हुए प्रेमियों की तपन मिटने के लिए स्त्रियाँ अपने उन जूड़ों की गंध सुँघाती हैं, जो उन्होंने स्नान के समय सुगंधित फुलेलों में बसा लिए थे। शिरोरुहैः श्रोणितटावलम्बिभिः कृतावतंसैः कुसुमैः सुगन्धिभिः। 2/18 अपने भारी-भारी नितंबों पर केश लटकाकार, अपने कानों में सुगंधित फूलों के कनफूल पहन कर। निर्माल्यदाम परिभुक्तमनोज्ञगन्धं मूर्ध्नऽपनीय घननीलशिरोरुहान्ताः। 4/16 लंबे, घने और काले केशों वाली स्त्रियाँ अपने सिर से वह मुरझाई हुई माला उतार रही हैं, जिसकी मधुर सुगंध का आनंद वे रात में ले चुकी हैं। निवेशितान्तः कुसुमैः शिरोरुहैर्विभूषयन्तीव हिमागमं स्त्रियः। 5/8 बालों में फूल गूंथे हुए स्त्रियाँ ऐसी लग रही हैं, मानो जाड़े के स्वागत का उत्सव मनाने के लिए सिंगार कर रही हैं। श्रुति 1. कर्ण - [कर्ण्यते आकर्ण्यते अनेन - कर्ण + अप्] कान। कर्णान्तरेषु ककुभदुममञ्जरीभिरिच्छानुकूलरचितानवतंसकाँश्च। 2/21 ककुभ के फूलों के मनचाहे ढंग से बनाए हुए कर्णफूल अपने कानों में पहनती हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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