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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 820 कालिदास पर्याय कोश 2. कान्ति - [ कम् + क्तिन्] सौंदर्य, चमक, प्रभा, दीप्ति। नितान्तनीलोत्पलपत्रकान्तिभिः क्वचित्प्रभिन्नाञ्जनराशि संनिभैः। 2/2 कहीं तो अत्यंत नीले कमल की पंखड़ी जैसी नीली चमक वाले और कहीं घुटे हुए आँजन की ढेरी के समान काले-काले बादल। भिन्नाञ्जनप्रचयकान्ति नभो मनोज्ञं बन्धूकपुष्परजसाऽरुणिता च भूमिः। 3/5 घुटे हुए आँजन की पिंडी जैसे नीले चमक वाला सुंदर आकाश दुपहरिया के फूलों से लाल बनी हुई धरती। हंसैर्जिता सुललिता गतिरङ्गनानामम्भोरुहैर्विकसितैर्मुखचन्द्रकान्तिः। 3/17 हंसों ने सुंदरियों की मनभावनी चाल को, कमलिनियों ने उनके चंद्रमुख की चमक को हरा दिया है। दन्तावभास विशदस्मित चन्द्रकान्तं कङ्केलिपुष्परुचिरा नवमालती च। 3/18 कंकेलि तथा नई मालती के सुंदर फूलों ने दाँतों की चमक से खिल उठने वाली स्त्रियों की मुस्कराहट की चमक को लजा दिया है। बन्धूककान्तिमधरेषु मनोहरेषु क्वापि प्रयाति शरदागमश्रीः। 3/27 शरद की सुंदर शोभा कहीं बंधूक की फूलों की लाली (चमक) को छोड़कर उनके निचले होठों में जा चढ़ी है। कुमुदरुचिरकान्तिः कामिनीवोन्मदेयं प्रतिदिशतु शरदवश्चेतसः प्रीतिमग्रयाम्। 3/28 सुंदर कोंई के शरीर वाली जो कामिनी के समान मस्त शरद् ऋतु आई है, वह आप लोगों के मन में नई-नई उमंगें भरे। न नूपुरैर्हसरुतं भजद्भिः पादाम्बुजान्यम्बुकान्तिभाञ्जि। 4/4। न अपने कमल जैसे चमक वाले सुंदर पैरों में हंस के समान ध्वनि करने वाले बिछुए ही डालती हैं। कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैःपाटलोपान्तनेत्रैः। 5/13 लाल कोरों से सजी हुई बड़ी-बड़ी आँखों वाले, लाल-लाल ओठों वाले और सुनहले कमल के समान चमकने वाले। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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