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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 818 कालिदास पर्याय कोश 3. मञ्जरी - [ मञ्जु + ऋ + इन् शक० पररूपम् पक्षे ङीप् ] बौर, फूलों का गुच्छा,. फूल, कली, फूल का वृन्त । कर्णान्तरेषु ककुभदुममञ्जरीभिरिच्छानुकूलरचितानवतंसकाँश्च । 2/21 ककुभ के फूलों के मनचाहे ढंग से बनाए हुए कर्णफूल अपने कानों में पहनती हैं । 1. तीक्ष्ण सख्त | www. kobatirth.org 3. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - प्रचण्ड [तिज् + क्स्न, दीर्घः ] पैना, तीखा, गरम, कठोर, प्रबल, कड़ा, सुतीक्ष्णधारापतनोग्रसायकैस्तुदन्तिचेतः प्रसभंप्रवासिनाम्। 2/4 अपनी तीखों धारों के पैने बाण बरसाकर परदेस में पहुँचे हुए लोगों का मन कसमसा रहे हैं। 2. निपात [नि + पत् + घञ् ] मरण, मृत्यु, मारना, दागना, मारक, प्रपात, बहुत अधिक। तुषारसंघातनिपातशीतलाः शशाङ्कमाभिः शिशिरीकृताः पुनः । 5/4 घने पाले से कड़कड़ाते जाड़ों वाली, चंद्रमा की किरणों से और भी ठंडी हुई रातों में । प्रकाम - अत्यधिक, अत्यंत, मनभर कर, इच्छानुकूल । अन्या प्रकामसुरतश्रमखिन्नदेहो रात्रि प्रजागरविपाटलनेत्रपद्मा। 4/15 अत्यंत संभोग से थक जाने के कारण एक दूसरी स्त्री की कमल जैसी आँखें रातभर जागने से लाल हो गई हैं। प्रकामकामं प्रमदाजनप्रियं वरोरु कालं शिशिराह्वयं शृणु। 5/1 हे सुंदर जाँघों वाली ! सुनो, जिसमें काम भी बहुत बढ़ जाता है, वह स्त्रियों की प्यारी शिशिर ऋतु आ पहुँची है। प्रकामकामैर्युवभिः सुनिर्दयं निशासु दीर्घास्वभिरामिताश्चिरम्। 5/7 जिन नवयुवतियों ने युवकों के साथ आजकल की लंबी रातों में बहुत देर तक जी भरकर और कसकर संभोग का आनंद लूय है । For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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