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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org ऋतुसंहार इन दिनों लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं, और रात में चंद्रमा की किरणों का आनंद लेना चाहते हैं । - 3. निशा [नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् शो + क तारा०] रात । निशा: शशाङ्कक्षतनीलराजयः क्वचिद्विचित्रं जलयन्त्र मन्दिरम् । 1/2 रात्रि में चारों ओर खिले हुए चंद्रमा की चाँदनी छिटकी हो, रंग बिरंगे फव्वारों के तले बैठे हों । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्रजतु तव निदाघः कामिनीभिः समेतो निशि सुललित गीते हर्म्यपृष्ठे सुखेन । 1/28 807 विलोक्य नूनं भृशमुत्सुकश्चिरं निशाक्षये याति ह्रियेव पाण्डुताम् । 1/9 जब बहुत देर तक उनका मुँह देख चुकता है, तो लाज के मारे वह रात के पिछले पहर में उदास हो जाता है 1 वह गर्मी की ऋतु आपकी ऐसी बीते कि रात को आप अपने घर की छत पर लेटे हों, सुंदरियाँ आपको घेरे बैठी हों और मनोहर संगीत छिड़ा हुआ हो । प्रकामकामैर्युवभिः सुनिर्दयं निशासु दीर्घास्वभिरामिताश्चिरम् । 5/7 जिनने युवकों के साथ लंबी रातों में बहुत देर तक जी भरकर और कसकर संभोग का आनंद लूटा है। निशासु हृष्टा सह कामिभिः स्त्रियः पिबन्ति मद्यं मदनीयमुत्तमम् । 5 / 10 स्त्रियाँ बड़े हर्ष से अपने प्रेमियों के साथ रात को काम-वासना जगाने वाली वह मदिरा पीती हैं। सुरतसमयवेषं नैशमासु प्रहाय दधति दिवसयोग्यं वेषमन्यास्तरुण्यः । 5/14 स्त्रियाँ रात के संभोग वाले वस्त्र उतारकर दिन में पहनने वाले कपड़े पहन रही हैं। मत्तालियूथविरुतं निशि सीधुपानं सर्वं रसायनमिदं कुसुमायुधस्य । 6/35 मतवाले भौरों की गुँजार और रात में आसव पीना ये सब कामदेव को जगाए रखने वाले रसायन ही हैं। For Private And Personal Use Only 4. निशीथ - [ निशेरते जना अस्मिन् निशी अधारे थक - तारा०] आधीरात, सोने का समय, रात ।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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