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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 766 कालिदास पर्याय कोश निरुद्धवातायन मन्दिरोदरं हुताशनो भानुमतो गभस्तयः। 5/2 अपने घरों के भीतर खिड़कियाँ बंद कर के, आग तापकर, धूप खाकर दिन बिताते हैं। अनिल 1. अनिल - [ अन् + इलच्] वायु, वायुदेवता। सचन्दनाम्बुव्यजनोद्भवानिलैः सहारयष्टि स्तनमण्डलार्पणैः। 1/8 चंदन में बसे हुए ठंडे जल से भीगे हुए पंखों की शीतल वायु झलकर या मोतियों के हारों की लटकती हुई झालरों से सजे हुए अपने गोल-गोल स्तन प्रेमी की छाती पर रखकर। मन्दानिलाकुलित चारुतराग्रशाख:पुष्पोद्गमप्रचय कोमल पल्लवानः। 3/6 जिसकी शाखाओं की सुंदर फुनगियों को धीमा-धीमा पवन झुला रहा है, जिस पर बहुत से फूल खिले हुए हैं, जिसकी पत्तियाँ बड़ी कोमल हैं। मत्तद्विरेफ परिचुम्बितचारुपुष्पा मन्दानिलाकुलित नम्रमृदुप्रवालाः। 6/19 जिनके फूलों को मतवाले भौरे चूम रहे हैं, और जिसके नये कोमल पत्ते मंद-मंद पवन में झूल रहे हैं। मत्तेभो मलयानिलः परभृता यद्वन्दिनो लोकजित्सोऽयं वो वितरीतरीतु वितनुर्भद्रं वसन्तान्वितः। 6/38 जिसका मलयाचल से आया हुआ पवन ही मतवाला हाथी है, कोयल ही गायक है, और शरीर न रहते हुए भी जिसने संसार को जीत लिया है, वह कामदेव वसन्त के साथ आपका कल्याण करे। 2. नभस्वत् - [ नभस् + मतुप, मस्य वः] हवा, वायु। उत्फुल्लपङ्कजवनां नलिनी विधुन्वन्यूनां मनश्चलयति प्रसभं नभस्वान्। 3/10 खिले हुए कमलों से भरे तालों की कमलिनियों को हिलाता हुआ शीतल वायु, युवकों का मन झकझोरे डाल रहा है। 3. पवन - [ पू + ल्युट्] हवा, वायु। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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