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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 724 4. वात त्वामारुढ़ं पवनपदवीमुद्गृहीतालकान्ताः । पू० मे० 8 जब तुम वायु पर पैर रखकर ऊपर चढ़ोगे, तब अपने बाल ऊपर उठाकर । मन्दं मन्दं नुदति पवनश्चानुकूलो । पू० मे० 10 तुम्हारा साथी वायु धीरे-धीरे तुम्हें आगे बढ़ा रहा है। 1 पू० मे० 14 अद्रेः शृङ्गं हरति पवनः किं । कहीं पहाड़ की चोटी को पवन तो नहीं उड़ाए लिए चला जा रहा। [ मृ + उत्] वायु, हवा । 3. मरुत धूमज्योतिः सलिलमरुतां संनिपातः क्व मेघः । पू० मे0 5 कहाँ धुएँ, अग्नि, जल और वायु के मेल से बना हुआ बादल । तोयक्रीडा निरत युवतिस्नानतिक्तैर्मरुद्धिः । पू० मे० 37 जल विहार करने वाली युवतियों के स्नान करने से महकता हुआ पवन । मन्दाकिन्याः सलिलशिशिरैः सेव्यमाना मरुद्भिः । 30 मे० 6 मंदाकिनी के जल की फुहार से ठंडाए हुए पवन में। - www. kobatirth.org - [ वा + क्त] हवा, वायु । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश धुन्वनकल्पदुमकिसलयान्यंशुकानीव वातैर्नाचेष्टैर्जलद । पू० मे० 66 मेघ ! कल्पद्रुम के कोमल पत्तों को पवन की सहायता से महीन कपड़े की भाँति हिला देना । आलिङ्गयन्ते गुणवति मया ते तुषाराद्रिवाताः । उ० मे0 50 हिमालय के जो पवन दक्षिण की ओर चले आ रहे हैं, उन्हें मैं यही समझकर हृदय से लगा रहा हूँ। 5. वायु - [ वा उण् यक् च] हवा, पवन । नीचैर्वास्यत्युपजिगमिषोर्देव पूर्वं गिरिं ते शीतो वायुः । पू० मे० 46 वहाँ से चलकर जब तुम देवगिरी पहाड़ की ओर जाओगे, तब वहाँ वह शीतल पवन तुम्हारी सेवा करेगा। For Private And Personal Use Only तं चेद्वायौ सरति सरलस्कन्ध संघट्ट जन्मा । पू० मे० 57 अंधड़ चलने पर वृक्षों के आपस में रगड़ने से जब जंगल में आग लग जाए।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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