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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 668 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश बस्ती के बाहर वाले उद्यान में बनी हुई शिवजी के मूर्ति के सिर पर जड़ी हुई चंद्रिका से सदा उजाला रहता है। विश्रान्तः सन्व्रज वननदीतीरजातानि सिञ्चन्नु द्यानानांनवजलकणैर्यूथिका जालकानि । पू० मे० 28 वहाँ थकावट मिटाकर, तुम जंगली नदियों के तीरों पर उपवनों में खिली हुई, जूही की कलियों को अपने जल की फुहारों से सींचते हुए। धूतोद्यानं कुवलयरजोगन्धिभिर्गन्धवत्या स्तोयक्रीडानिरतयुवतिस्नानतिक्तैर्मरुद्भिः । पू० मे० 37 जल-विहार करने वाली युवतियों के स्नान करने से महकता हुआ और कमल गंध में बसी हुई गंधवती नदी की ओर से आने वाला पवन, उपवन को बार-बार झुला रहा होगा । 2. उपवन [ बाग, बगीचा, लगाया हुआ जंगल ] । पाण्डुछायोपवनवृतयः केतकैः सूचिभिन्नै - र्नीडारम्भैर्गृह बलिभुजामाकुल ग्राम चैत्याः । पू० मे० 25 वहाँ के फूले हुए उपवनों के बाड़, फूले हुए केवड़ों के कारण उजले दिखाई देंगे, गाँव के मंदिर, कौओं आदि पक्षियों के घोंसलों से भरे मिलेंगे। वैभ्राजाख्यं विबुधवनितावारमुख्या सहाया बद्धालापाबहिरुपवनं कामिनो निर्विशन्ति । उ० मे० 10 कामी लोग अप्सराओं के साथ बातें करते हुए वैभ्राज नाम के बाहरी उपवन में रात-दिन विहार किया करते हैं। 3. कुञ्ज - [ कु + न् + ड, पृषो० साधुः ] लतावितान, उद्यान, उपवन, पर्णशाला । स्थित्वा तस्मिन्वनचरवधूभुक्तकुञ्जे मुहूर्तं तोयोत्सर्ग द्रुततरगतिस्तत्परं वर्त्म तीर्णः । पू० मे० 20 आम्रकूट के जिन कुंजों में जंगली स्त्रियाँ घूमा करती हैं, वहाँ थोड़ी देर ठहरना और फिर डग बढ़ाकर चल देना क्योंकि जल बरसा देने से तुम्हारी चाल बढ़ जाएगी। तस्यास्तिक्तैर्वनगजमदैर्वासितं वान्तवृष्टि र्जम्बूकुञ्जप्रतिहतरयं तोयमादाय गच्छेः । पू० मे० 21 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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