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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 639 कुमारसंभव व्यादिश्यते भूधरतामवेक्ष्य कृष्णेन देहोद्वहनाय शेषः। 3/13 वे देख चुके थे कि शेष नाग जब पृथ्वी को धारण कर सकते हैं, तो मेरा बोझ भी सह लेंगे। भूधरराजपत्नी 1. भूधरराजपत्ति :-हिमालय की पत्नी [मेना] मनोरमं यौवन मुदवहन्त्या गर्भोऽभवद्भूधरराज पल्याः । 1/19 कुछ ही दिनों में हिमालय की वह सुन्दर और युवती पत्नी मेना गर्भवती हो गई। 2. मेना :-[मान्+इनच्, नि० साधु:] हिमालय की पत्नी का नाम। मेनां मुनीनामपि माननीयामात्मानुरूपां विधिनोपयमे। 1/18 मेना का मुनिलोग भी आदर करते हैं। उस मेना से शास्त्रों के अनुसार विवाह किया। उवाच मेना परिभ्य वक्षसा निवारयन्ती महतो मुनिव्रतात्। 5/3 तब पार्वती जी को गले से लगाकर, उन्हें इतनी कड़ी तपस्या करने से बरजती हुई मेना बोलीं। इति ध्रुवेच्छामनुशासती सुतां शशाक मेना न नियन्तु मद्यमात्। 5/5 पर सब कुछ समझाने पर भी मेना अपनी पुत्री की टेक नहीं टाल पाईं। शैल: संपूर्णकामोऽपि मेलामुखमुदैक्षत। 6/85 यद्यपि हिमालय स्वयं तो इससे सहमत थे, पर फिर भी उन्होनें इसका उत्तर पाने के लिए मेना की ओर देखा। मेने मेनापि तत्सर्वं पत्यु:कार्यमभीप्सितम्। 6/86 मेना ने भी अपने पति की हाँ में हाँ मिलाकर सब बातें मान लीं। 3. शैलवधू :-[शिला+ अण्+वधू] मेना, हिमालय की पत्नी। सती सती योग विसृष्ट देहा तां जन्मते शैलवधूं प्रपेदे।11/21 सती ने योग बल से अपना शरीर छोड़ दिया और दूसरा जन्म लेने के लिए वे मेना की कोख मे आ बसीं। मणि 1. मणि :-[मण+इन्] रत्नजड़ित आभूषण, रत्न, आभूषण, उत्तम वस्तु। चन्द्रव नित्यं प्रतिभिन्न मौलेश्चूडामणे: किं ग्रहणं हरस्य। 7/35 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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