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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारसंभव 595 विचार छोड़ दिया और उस आकाशवाणी पर विश्वास करके कामदेव के मित्र वसन्त ने भी बहुत कुछ समझा बुझा कर उसे ढाढस बंधाया। सा संभवद्भिः कुसुमैलतेव ज्योतिर्भिद्यद्भिखित्रियामा। 7/21 जैसे फूल आ जाने पर लताएँ स्वयं भी खिल उठती हैं या जैसे तारे निकलने पर रात जगमगाने लगती हैं। 2. पुष्प :-[पुष्प+अच्] फूल, कुसुम । प्रसन्न दिक्पांसु विविक्त वातं शंख स्वनानन्तरपुष्प वृष्टिः। 1/23 आकाश खुला हुआ था, पवन में धूल का नाम नहीं था, आकाश से शंख बजने के साथ-साथ फूल बरस रहे थे। अनन्तपुष्पस्य मधोर्हि चूते द्विरेफ माला सविशेष सङ्गा। 1/27 जैसे भौरों की पातें वसन्त के ढेरों फूलों को छोड़कर आम की मंजरियों पर ही झूमती रहती हैं। पर्याय सेवामुत्सृज्य पुष्पसंभारतत्पराः। 2/36 एक दूसरे ऋतु के फूलों को बिना छेड़े हुए, अपने-अपने ऋतु के फूल उपजा कर सेवा करती हैं। पर्याप्तपुष्पस्तवकस्तनाभ्यः स्फुरत्प्रवालौष्ठ मनोहराभ्यः। 3/39 जिनके बड़े-बड़े फूलों के गुच्छों के रूप में स्तन लटक रहे थे और पत्तों के रूप में सुन्दर ओंठ हिल रहे थे। मुक्ता कलापीमृतसिन्दुवारं वसन्त पुष्पाभरणं वहन्ती। 3/53 मोतियों की माला के समान उजले सिन्धुवार के वासन्ती फूलों के आभूषण सजे हुए थे। पदं सहेत भ्रमरस्य पेलवं शिरीषपुष्पं न पुनः पतत्रिणः। 5/4 शिरीष के फूल पर भौरे भले ही आकर बैठ जायें, पर यदि कोई पक्षी उस पर आकर बैठने लगे, तब तो वह नन्हाँ सा फूल झड़ ही जायेगा। महार्हशय्या परिवर्तनच्युतैः स्वकेशपुष्पैरपि या स्म दूयेत। 5/12 ठाठबाट से सजे हुए पलंग पर करवट लेते समय अपने बालों से झड़े हुए फूलों के दबाने से जो पार्वती सी-सी कर उठती थीं। चतुष्क पुष्पप्रकरावकीर्णयोः परोऽपि को नाम तवानुमन्यते। 5/66 आप अभी तक फूल बिछे हुए चौक में चलती आई हैं। यह बात तो आपका शत्रु भी आपके लिए नहीं चाहेगा। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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