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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 74 www. kobatirth.org ग गंगा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुग्ध्वा पयः पत्रपुटे मदीयं पुत्रोपभुङ्क्ष्वेति तमादिदेश | 2/65 नंदिनी ने कहा मैं तेरी इच्छा पूर्ण करूंगी और यह आज्ञा दी कि तू एक दोने में मेरा दूध दुहकर पी ले। कालिदास पर्याय कोश 1. गंगा :- [ गम् + गन्+टाप्] गंगा नदी । गंगा प्रपातान्त विरूढ शष्पं गौरी गुरोर्गह्वरमाविवेश | 2/26 वह झट हिमालय की उस गुफा में बैठ गई, जिसमें गंगाजी की धारा गिर रही थी और जिसके तट पर घनी हरी-हरी घास खड़ी हुई थी । art हाभ्रष्टां गंगामिव भगीरथः । 4/32 मानो शंकरजी की जटा से निकली हुई गंगाजी को साथ लिए हुए भागीरथ जी चले जा रहे हों । गंगा शीकरिणो मार्गे मरुतस्तं शिषेविरे । 4/73 गंगाजी की फुहारों से ठंडा हुआ वायु रघु की सेवा करता जा रहा था। कलिन्दकन्या मथुरां गतापि गंगोर्मिसंसक्त जलेव भाति । 6/48 उस समय मथुरा में भी यमुनाजी का रंग ऐसा प्रतीत होता है, मानों वहीं पर उनका गंगा जी की लहरों से संगम हो गया हो । For Private And Personal Use Only निर्यात शेषा चरणाद्गंगेवोर्ध्व प्रवर्तिनी । 10/37 मानो उनके चरणों से निकलकर गंगाजी ऊपर को जा रही हों । पश्यानवद्यांगि विभाति गंगा भिन्न प्रवाहा यमुना तरंगैः । 13/57 गंगां निषादाहृतनौविशेषस्ततार संधामिव सत्यसंधः । 14/52 har ने जो नाव लाकर दी उस पर चढ़कर सीताजी के साथ गंगाजी से भी पार हो गए और अपनी उस प्रतिज्ञा से भी पार हो गए, जो उन्होंने सीता को गंगा पार छोड़ने के लिए राम से की थी । तीर्थे तदीये गजसेतुबंधात्प्रतीपगामुत्तरतोऽस्य गंगाम् । 16/33 वहाँ पास ही उल्टी पश्चिम की ओर बहने वाली गंगाजी पर हाथियों का पुल बनाकर वे पार उतरने लगे।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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