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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश वैसे ही वसंत की शोभा से लदी हुई ताल की कमलिनी के आसपास भरे और हंस भी मंडराने लगे । 59 अभ्यपद्यत स वासितासखः पुष्पिताः कमलिनीरिव द्विपः । 19/11 हाथी जैसे खिली हुई कमलनियों की गंध से भरे सरोवर में हथिनियों के साथ पैठता है । 2. नलिनी : - [ नल् + इनिङीप् ] कमल का पौधा, कमलों का समूह । शरत्प्रमृष्टाम्बुधरो परोधः शशीव पर्याप्तकलो नलिन्याः । 6/44 जैसे खुले आकाशवाली शरद ऋतु का मनोहर चन्द्रमा भी कमलिनी को नहीं भाता । हिमसेवक विपत्तिरत्र मे नलिनी पूर्व निदर्शनंमता । 8/45 मैंने पहले ही देख लिया है कि नलिनी को नष्ट करने के लिए पाला ही बहुत होता है। 3. पद्मिनी :- [ पद्म+ इनि + ङीप् ] कमल का पौधा, कमलों का समूह । स्कंधावालग्नोद्धृत पद्मिनीकः करेणुभिर्वन्य इव द्विपेन्द्रः । 16/68 जैसे कमलिनियों को उखाड़कर कंधे पर लटकाए हुए हाथी, हथनियों के साथ जलक्रीड़ा करता है। कर 1. कर :- [कृ+अप्] लगान, शुल्क, भेंट, हाथी की सूँड, हाथ । अपरान्त महीपाल व्याजेन रघवे करम् । 5 / 58 पश्चिम के राजाओं ने जो रघु के अधीन होकर उन्हें कर दिया था । 2. बलि : - [ बल् + इनि] आहुति, भेंट चढ़ावा, कर, लगान । प्रजानामेव भूत्पर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत् । 1 / 18 राजा दिलीप भी अपनी प्रजा से जितना कर लेते थे, वह सब प्रजा की भलाई में ही लगा देते थे । For Private And Personal Use Only करेणु 1. करेणु : - [कृ + एणु अथवा के मस्तके रेणुस्य तारा०] हाथी, हथिनी । चित्रद्विपाः पद्मवनावतीर्णाः करेणुभिर्दत्तमृणालभंगाः । 16/16 जिन चित्रों में ऐसा दिखाया गया था कि हाथी कमल के ताल में उतर रहे हैं और हथिनियाँ उन्हें सूँड से कमल की डंठल तोड़कर दे रही हैं।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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