SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 58 कालिदास पर्याय कोश उधर सुग्रीव ने कुम्भकर्ण की नाक-काटकर उसे शूर्पणखा के समान बना दिया था। सरित्समुद्रान्सरसीश्च गत्वा रक्षः कपीन्द्ररुपपादितानि। 14/8 राक्षसों और वानरों के नायकों ने नदियों, समुद्रों और तालों से जो जल लाकर दिया। सीतास्वहस्तो पहृताध्यपूजान् रक्षः कपीन्द्रान्विससर्जरामः। 14/19 सीता जी ने स्वयं अपने हाथों से उन राक्षसों और वानर सेनपातियों की पूजा की ओर राम ने विदा किया। 2. कपीश्वर :-[कम्प+इ, न लोपः+ईश्वरः] सुग्रीव का विशेषण। तमध्वराय मुक्ताश्वं रक्षः कपिनरेश्वराः। 15/58 राम ने अश्वमेध के लिए घोड़ा छोड़ा, तो सुग्रीव विभीषण आदि ने। 3. रविसुत :-[रु+इ+सुतः] सुग्रीव का विशेषण। रविसुतसहितेन तेनानुयातः स्त्रसौ मित्रणा। 12/104 सुग्रीव, विभीषण और लक्ष्मण के साथ। 4. सुग्रीव :-[सु+डु ग्रीव] सुग्रीव, नायक, हंस, अच्छी गर्दन वाला। धातोः स्थान इवादेशं सुग्रीवं संन्यवेशयत्। 12/58 सुग्रीव को वैसे ही बैठा दिया जैसे कोई वैयाकरण, लिट्, लुट्, आदि लकारों में अस् धातु के बदले भू धातु को बैठा देता है। तथैव सुग्रीवविभीषणादीनुपाचरत्कृत्रिभसंविधाभिः। 14/17 वहाँ से आकर उन्होंने सुग्रीव और विभीषण आदि मित्रों का भली-भाँति स्वागत सत्कार किया। हरीश्वर :-[हृ+इन्+ईश्वरः] बंदरों का नायक, सुग्रीव का विशेषण। तस्मात् सरविभीषण सेना विचक्षणहरीश्वरदत्त हस्तः। 13/69 सेवा में चतुर सुग्रीव के हाथों के सहारे उतरे और विभीषण आगे-आगे मार्ग दिखाते चले। कमलिनी 1. कमलिनी :-[कमल इनि+ङीप्] कमल का पौधा, कमलों का समूह । अभिययुः सरसो मधु संभृतां कमलिनीमलिनीरतपत्रिणः। 9/27 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy