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कालिदास पर्याय कोश अमुना कुसुमाश्रुवर्षिणा त्वम शोकेन सुगात्रि शोच्यसे। 8/63 यह अशोक वृक्ष फूलों के आँसू बरसाकर तुम्हारे लिए रो रहा है। मणि व्याजेन पर्यस्ताः पृथिव्यामश्रुविंदवः। 10/75 कुछ मणि पृथ्वी पर गिर पड़े मानो राक्षसों की लक्ष्मी के आँख ही ढुलक पड़े हों। मौलेरानाय या मासुभरतं स्तंभिताश्रुभिः। 12/12 भरत को उनकी ननिहाल से बुलाया, जिन्होंने अपने आँसू निकलने नहीं दिये
थे।
प्रत्युद्नत मिवानुष्णैस्तदा नंदाश्रु बिंदुभिः। 12/62 जिसका स्वागत सीताजी ने आनंद के ठण्डे आँसुओं से किया। तमश्रु नेत्रावरणं प्रभृज्य सीता विलापा द्विरता ववन्दे। 14/71 उन्हें देखकर सीता जी ने आँसू पोंछकर चुपचाप उन्हें प्रणाम किया। तद्गीतश्रवणैकाग्रा संसदश्रुमुखी बभौ। 15/66 सारी सभा गूंगी होकर उनका गीत सुनती जा रही थी और आँखों से आँसू बहाती जा रही थी। कदंब मुकुल स्थूलैरभितृष्टां प्रजाश्रुभिः। 15/99 जिस मार्ग से राम चल जा रहे थे, वह मार्ग राम के पीछे-पीछे जाने वाली जनता के आँसुओं से गीला हो गया था। प्रच्छदांत गलिताश्रु बिन्दुभिः क्रोध भिन्नवलयैर्विवर्तनैः। 19/22 तब वे कामिनियाँ बिना बोले ही बिस्तर के कोने पर आँसू गिराती हुईं क्रोध से
कंगन तोड़कर उनसे पीठ फेरकर सो जाती थीं। 2. नयनवारि :-[नी+ल्युट्+वारि] आँसू।
सोऽभूत्परासुरथ भूमिपतिं शशाप हस्तार्पितैर्नयनवारि भिरेववृद्धः। 9/18 इस पर बूढ़े तपस्वी ने अपने आँसुओं से अपनी अंजलि भरकर राजा को यह शाप दिया। तौ पितुर्नयनेन वारिणा किंचिदुक्षित शिखण्डकावुभौ। 11/5
पिता दशरथ की आँसुओं से दोनों राजकुमारों की चोटियाँ भीग गईं। 3. वाष्प :-[बाध्-पृषो०सत्वं पत्वं वा] आँसू, भाप।
विललाप स वाष्प गद्गदं सहजामप्यपहाय धीरताम्। 8/43
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