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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 406 कालिदास पर्याय कोश 2. इषु :-[इष् + उ] बाण, पाँच की संख्या। तत्र स द्विरददबंहित शङ्की शब्दपातिनमिषु विससर्ज। 9/73 इन्होंने समझा कि यह कोई हाथी है, बाण निकाला और शब्द पर लक्ष्य करके शब्द भेदी बाण चला ही तो दिया। रामेषुभिरिती वासौ दीर्घ निद्रां प्रवेशितः। 12/81 राम के बाणों से घायल होकर वह गिरकर, दीर्घ निद्रा में सो गया (मर गया)। 3. पत्रिन :-(पुं०) [पतत्र + इनि] बाण, घोड़ा। रघोरवष्टम्भमयेन पत्रिणा हदि क्षतो गोत्रभिदप्यमर्षणः। 3/53 रघु ने खंभे के समान दृढ़ एक बाण इन्द्र की छाती में मारा। बभूव युद्धं तुमुलं जयैषिणो रघोमुखैरूर्ध्व मुखैश्च पत्रिभिः। 3/57 दोनों तीखे बाणों से भयंकर युद्ध कर रहे थे, रघु को लक्ष्य बनाकर इन्द्र नीचे की ओर अपने बाण चलाते थे और इन्द्र को ताक कर रघु ऊपर बाण चला रहे थे। 4. पत्री :-(पुं०) [पत्रम् अस्त्यर्थ इनि] बाण। तेना भिधातरभसस्य विकृष्य पत्री वन्यस्य नेत्रविवरे महिषस्यमुक्तः। 9161 उन्होंने देखा कि एक जंगली भैंसा उनकी ओर झपटा चला आ रहा है, उन्होंने उसकी आँख में एक ऐसा बाण मारा कि वह भैंसे के शरीर में से। तां विलोक्य वनिता वधे घृणां पत्रिणा सह मुमोच राघवः। 11/17 उस ताड़का को देखकर राम ने स्त्री को मारने की घृणा और बाण दोनों एक साथ छोड़े। शंस किं गतिमनेन पत्रिणा हन्मि लोकमुत ते मखार्जितम्। 11/84 यह बताइए कि अब इस बाण से मैं आपकी गति रोकूँ या आपका उन दिव्य लोगों में पहुँचना रोक दूँ। बाण :-[बण् + घञ्] तीर, बाण, शर। चकार बाणैरसुराङ्गनानां गण्डस्थली: प्रोषित पत्र लेखाः। 6/72 उस युद्ध में उन्होंने बाणों से असुरों को मार डाला था, उनकी स्त्रियों ने पतियों से बिछोह होने के कारण अपने कपोलों को चीतना ही छोड़ दिया था। बाणाक्षरैरेव परस्परस्य नामोर्जितं चापभृतः शशंसुः। 7/38 वे जो बाण चला रहे थे, उन पर खुदे हुए अक्षरों से ही उनके नामों का ज्ञान हो जाता था। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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