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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 400 कालिदास पर्याय कोश अपना यश बढ़ाने के लिए ही दूसरे देशों को जीतते थे, जो भोग विलास के लिए नहीं वरन् संतान प्राप्ति के लिए ही विवाह करते थे । 3. दारक्रिया :- [दृ + घञ् + क्रिया ] विवाह । तं श्लाघ्य संबन्धमसौ विचिन्त्य दारक्रिया योग्यदशं च पुत्रम् 1 5/40 भोज के वंश के साथ सम्बन्ध करना ठीक ही होगा और कुमार अज भी विवाह के योग्य हो गए हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4. परिणय :- [ परि + नी + अप्, ल्युट् वा] विवाह । स्थित्यै दण्डयतो दण्ड्यान्परिणेतुः प्रसूतये । 1/25 अपराधी को दंड देना राजा का धर्म है, इसलिए वे अपराधियों को उचित दंड देते थे, वंश चलाना भी मनुष्य का धर्म है, इसलिए संतान उत्पन्न करने के लिए ही उन्होंने विवाह किया। 5. विवाह : - [ वि + वह + घञ् ] व्याह, शादी | अथास्य गोदानविधेरनन्तरं विवाहदीक्षां निरवर्तयद्गुरुः । 3 / 33 राजा ने गोदान संस्कार करके उनका विवाह कर दिया। विवेश मञ्चान्तरराजमार्गं पतिंवरा क्लृप्त विवाह वेषा । 6/10 इसी बीच वर चुनने के लिए विवाह के समय का वेश धारण करके इन्दुमती मंचों के बीच वाले राजमार्ग से आई । तमेव चाधाय विवाह साक्ष्ये वधूवरौ संगमयां चकार । 7/20 उसी अग्नि को विवाह का साक्षी बनाकर वरवधू का गठजोड़ा कर दिया। भर्तापि तावत्क्रथकैशिकानामनुष्ठितानन्तर जा विवाहः । 7/32 इधर छोटी बहिन का विवाह करके विदर्भ राज ने भी अपने सामर्थ्य के अनुसार धन देकर, रघु के पुत्र अज को विदा दी। अथ तस्य विवाह कौतुकं ललितं विभ्रत एव पार्थिवः । 8 / 1 अभी अज ने विवाह का सुन्दर मंगल सूत्र उतारा भी नहीं था, कि रघु ने । For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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