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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 370 कालिदास पर्याय कोश मार्गं मनुष्येश्वरधर्मपत्नी श्रुतेरिवार्थं स्मृतिरन्वगच्छत्। 2/2 उसी मार्ग में चलती हुई राजा की पत्नी सुदक्षिणा ऐसी लग रही थीं, जैसे श्रुति के पीछे-पीछे स्मृति चली जा रही हो। पुरस्कृता वर्त्मनि पार्थिवेन प्रत्युद्गता पार्थिव धर्मपल्या। 2/20 आश्रम के मार्ग में गौ के पीछे राजा दिलीप थे और आगे अगवानी के लिए उनकी पत्नी सुदक्षिणा खड़ी थीं। 12. नारी :-[न :-नर वा जातौ ङीष् नि०] स्त्री। वैदर्भ निर्दिष्टमथो विवेश नारीमनांसीव चतुष्कमन्तः। 7/17 विदर्भराज के बताए हुए भीतरी चौक में ऐसे पैठ गए, मानो वे वहाँ की स्त्रियों के मन में भी पैठ गए हों। अत्यारूढो हि नारीणाम कालज्ञो मनोभवः। 12/33 स्त्रियाँ जब बहुत अधिक कामासक्त हो जाती हैं, तब उन्हें इस बात का ध्यान ही नहीं रहता, कि हमें इस समय क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। पूरावभासे विपणिस्थपण्या सर्वाङ्गनद्धाभरणेव नारी। 16/41 इस प्रकार वह नगरी ऐसी सुंदर लगने लगी, जैसे सारे शरीर पर गहना पहने कोई स्त्री हो। उद्दण्ड पद्म गृहदीर्घिकाणां नारीनितम्ब द्वयसं बभूव। 16/46 उनमें कमल की डंडियाँ दिखाई देने लगी और पानी घटकर स्त्रियों की कमर तक रह गया। 13. पत्नी :-[पति + ङीप, नुक] सहधर्मिणी, भार्या । पत्नी सुदक्षिणेत्यासीदध्वरस्येव दक्षिणा। 1/31 जैसे यज्ञ की पत्नी दक्षिणा प्रसिद्ध है, वैसे ही उनकी पत्नी सुदक्षिणा भी प्रसिद्ध थी। तामवारोहयत्पत्नी रथादवततार च। 1/54 पहले तो उन्होंने अपनी पत्नी को रथ से उतारा और फिर स्वयं भी रथ से उतर पड़े। स तेजो वैष्णवं पन्योर्विभेजे चरुसंगितम्। 10/54 खीर के रूप में पाए हुए विष्णु के तेज को राजा ने अपनी पत्नियों कौशल्या और कैकेयी में बराबर-बराबर बाँट दिया। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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