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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 353 जैसे वसंत ऋतु में लताएँ पुराने पत्ते गिराकर नये कोमल पत्तों से लदकर सुंदर लगने लगती हैं। अनन्तराशोकलता प्रवालं प्राप्येव चूतः प्रतिपल्लवेन। 7/21 जैसे आम का पेड़ अपनी पत्तियों के साथ अशोक लता की लाल पत्तियों के मिल जाने से मनोहर लगता है। यदनेन तरुन पातितः क्षपिता तद्विटपाश्रिता लता। 8/47 जिसने पेड़ को तो छोड़ दिया, पर उसके साथ लिपटी हुई लता को जला दिया। पृषतीषु विलोलमीक्षितं पवनाधूत लतासु विभ्रमाः। 8/59 तुम्हारी चंचल चितवन हरिणियों को मिल गई और तुम्हारा चुलबुलापन वायु से हिलती हुई लताओं में पहुँच गया। अमदयत्सहकारलता मनः सकलिका कलिकामजितामपि। 9/33 नये बौरे हए आम के वृक्षों की डालियाँ झूम उठीं, उन्हें देखकर रागद्वेष को जीतने वाले योगियों का मन भी मचल उठा। उपवनान्तलताः पवनाहतैः किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः। 9/35 वन के किनारे बढ़ी हुई, लताएँ ऐसी सजीव सी जान पड़ती थीं, मानो वायु से खिली हुई शाखाओं वाले हाथों से वे अनेक प्रकार के हाव-भाव दिखा रही हों। तनुलता विनिवेशितविग्रहा भ्रमर संक्रमिते क्षणवृत्तयः। 9/52 कोमल लताओं का रूप धारण करके भौरों की आँखों से वनदेवता भी उन राजा को। त्वं रक्षसा भीरु यतोऽपनीता तं मार्गमेताः कृपया लता मे। 13/24 हे भीरु ! रावण तुम्हें जिस मार्ग से ले गया था, उस मार्ग की लताएँ मुझे कृपा करके तुम्हारे जाने का मार्ग बताना चाहती थीं। स्वमूर्तिलाभ प्रकृति धरित्री लतेव सीता सहसा जगाम। 14/54 सीताजी, लता के समान, अपनी माँ पृथ्वी की गोद में अचानक गिर पड़ीं। अथोर्मिलोलोन्मदराज हंसै रोधोलता पुष्पवहे सरय्वाः। 16/54 लहरों के लहराने से मतवाले बने हुए हंसों वाले तट की लताओं के फूलों को बहाने वाले, सरयू के जल में। 2. वल्लि :-[वल्ल् + इति] लता, बेल। वल्ली :-[वल्लि + ङीप्] लता, बेल। ताम्बूलवल्ली परिणद्धपूगा स्वेलालतालिङ्गित चन्दनासु। 6/64 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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