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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश राजा ने एक ओर सिंह की बातें सुनी और दूसरी ओर गाय को देखा, फिर वे बोले । 44. महीक्षित : - [ मह् + अच् + ङीष् + क्षित् ] राजा । आसीन्महीक्षितामाद्यः प्रणवश्छन्दसामिव । 1/11 जैसे वेद के छन्दों में सबसे पहले ॐ है, वैसे ही राजाओं में सबसे पहले मनु हुए । 327 तीर्थाभिषेकजां शुद्धिमादधाना महीक्षितः । 1/85 राजा दिलीप वैसे ही पवित्र हो गए, जैसे किसी तीर्थ में स्नान करके लौटे हों 1 ते बहुज्ञस्य चित्तो पल्यो पत्युर्महीक्षितः । 10 / 56 सब कुछ जानने वाले राजा दशरथ की दोनों रानियों ने । चूड़ामणिभिरुद्धृष्ट पादपीठं महीक्षिताम् । 17 / 28 उनके पैर के नीचे जो पीढ़ा रखा था, वह प्रणाम करने वाले राजाओं के सिर की मणियों की रगड़ से घिस गया था। रात्रिं दिव विभागेषु यदादिष्ट महीक्षिताम् । 17/49 शास्त्रों ने राजाओं के लिए दिन और रात के जो कर्त्तव्य निर्धारित किए हैं। प्रेमगर्वितविपक्षमत्सरादायताच्च मदनान्महीक्षितम् | 19 / 20 यदि राजा किसी रानी से प्रेम करता तो वह गर्व से फूली न समाती, यह देखकर उसकी सौतें कातुर होकर किसी न किसी बहाने राजा को अपने यहाँ बुलाकर । 45. महीपति : - [ मह् + अच् + ङीष् + पतिः] राजा । तां प्रत्यभिव्यक्तमनोरथानां महीपतीनां प्रणयाग्रदूत्यः । 6/12 राजाओं ने अपना प्रेम जताने के लिए जो श्रृंगार चेष्टाएँ कीं, वे मानो उनके प्रेम को इंदुमती तक पहुँचाते वाली दूतियाँ थीं। अहमेव मतो महीपतेरिति सवः प्रकृतिष्वचिन्तयत् । 8 / 8 वे अपनी प्रजा को बहुत प्यार करते थे, इससे सब लोग यही सोचते थे कि राजा हमें ही सबसे अधिक मानते हैं। For Private And Personal Use Only औत्पातिको मेघ इवाश्मवर्षं महीपतेः शासनमुज्जगार। 14/53 सीताजी को राजा की आज्ञा इस प्रकार सुनाई जैसे कोई भयंकर बादल ओले बरसा रहा हो । 46. महीपाल : - [ मह् + अच् + ङीष् + पालः] राजा ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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