SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 326 www. kobatirth.org 38. भूभर्ता :- [भू + क्विप् + भर्तृ] राजा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश भावितात्मा भुवो भर्तुरथैनं प्रत्यबोधयत् । 1/74 अपने योग बल से सब जान लेने के बाद वशिष्ठ जी राजा को समझाने लगे । निष्प्रभश्च रिपुरास भूभृतां धूमशेष इव धूमकेतनः । 11/81 वैसे ही क्षत्रियों और राजाओं के शत्रु परशुराम उस अग्नि के समान निस्तेज हो गए, जिसमें केवल धुआँ भर रह गया हो । 39. भूमिपाल : - [ भवन्त्यस्मिन् भूतानि :- भू + नि किच्च वा ङीप् + पालः ] राजा । नरेन्द्र मार्गाट्ट इव प्रपेदे विवर्णभावं स स भूमिपालः 16/67 वैसे ही जिन-जिन राजाओं को छोड़कर इन्दुमती आगे बढ़ गई, उन राजाओं का मुँह उदास पड़ गया। सर्व प्रयत्नेन च भूमिपालास्तस्मिन्प्रजह्नुर्युधि सर्व एव । 7/59 वे राजा पूरा बल लगाकर एक साथ अपने अस्त्रों से राजा अज पर प्रहार करने लगे । 40. मनुजपति: : - [मन् + उ + जः + पतिः ] राजा । तस्याः स्पृष्टे मनुजपतिना साहचर्यांय हस्ते माङ्गल्योर्णावलयिनि पुरः पावकस्योच्छिखस्य । 17/87 जब राजा कुश ने अग्नि के आगे उस कन्या का ऊनी कंगन बँधा हुआ हाथ पकड़ा। 41. मनुजेन्द्रः - [मन् + उ + ज: + इन्द्र:] राजा । मार्गे निवासा मनुजेन्द्र सूनोर्बभूवुरुद्यान विहार कल्पाः । 5/41 मार्ग में राजा रघु के पुत्र अज के ठहरने के लिए अनेक प्रकार के ऐसे वितानों का प्रबंध किया गया था । 42. मनुजेश्वर : - [मन + उ + जः + ईश्वरः ] राजा । मार्गं मनुष्येश्वर धर्मपत्नी श्रुतेरिवार्थं स्मृतिरन्वगच्छत् । 2/2 राजा दिलीप की पत्नी ठीक वैसी लग रही थीं, जैसे श्रुति के पीछे-पीछे स्मृति चली जा रही हो । For Private And Personal Use Only 43. मनुष्यदेव : - [ मनोरपत्यं यक् सुक् च + देवः ] राजा निशम्य देवानुचरस्य वाचं मनुष्यदेवः पुनरप्युवाच । 2/52
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy