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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 320 कालिदास पर्याय कोश अन्यत्प्रभुशक्ति संपदा वशमेको नृपतीननन्तरान्। 8/19 राजा अज ने अपने प्रभुत्व और शक्ति से आसपास के राजाओं को वश में कर लिया था। नृपतेरमरस्त्रगाप सा दयितोरुस्तन कोटिसुस्थितिम्। 8/36 वही माला अचानक राजा अज की रानी इन्दुमती के बड़े-बड़े स्तनों के ठीक बीच में आकर गिरी। नृपतेर्व्यजनादिभिस्तमो नुनुदे सा तु तथैव संस्थिता। 8/40 पंखा डुलाने और दूसरे उपायों से राजा अज की मूर्छा तो दूर हो गई, पर रानी इन्दुमती ज्यों की त्यों पड़ी रही। प्रमदामपु संस्थितः शुचा नृपतिः सन्निति वाच्यदर्शनात्। 8/72 अपनी पत्नी के वियोग में राजा अज इतने व्याकुल हो गए कि उन्हें जीने की साध जाती रही। रोगोप सृष्टतनु दुर्वसतिं मुमुक्षुः प्रायोपवेशनमतिर्नृपतिर्बभूव। 8/94 राजा अज अपने रोगी शरीर से छुटकारा पाने के लिए अनशन करने लगे। नृपतयः शतशो मरुतो यथा शतमखं तमखण्डितपौरुषम्। 9/13 जैसे देवता लोग इन्द्र के चरण छूते हैं, वैसे ही सैकड़ों राजाओं ने पराक्रमी राजा दशरथ के चरणों में अपने मुकुट वाले सिर रख दिए। नृपतिमन्यम सेवत देवता सकमला कमलाघवमर्थिषु। 9/16 दूसरा राजा ही कौन सा था, जिसके यहाँ हाथ में कमल धारण करने वाली लक्ष्मी स्वयं जाकर रहती। प्रायो विषाण परिमोक्षलघूत्तमाङ्गान्खगाँश्चकार नृपतिर्निशितैः क्षुरप्रैः। 9/62 इतने में उन्हें बारहसिंहों का झंड दिखाई दिया, राजा दशरथ ने अर्द्धचन्द्र बाणों से उनके सींग काटकर उनके सिर का बोझ हल्का कर दिया। नृपतीनिव तान्निवयोज्य सद्यः सितबालव्यजनैर्जगाम शान्तिम्। 9/66 इससे उन्हें ऐसा सन्तोष हुआ, मानो चँवर धारी राजाओं के चँवर ही उन्होंने छीन लिए हों। ताभ्यां तथागतमुपेत्य तमेकपुत्रमज्ञानतः स्वचरितं नृपतिः शशंस। 9/77 वहाँ पहुँच कर राजा दशरथ ने सब कथा बता दी, कि भूल से मैंने आपके एकलौते पुत्र पर किस प्रकार बाण चला दिया है। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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