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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 18 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश अभिक 1. अभिक : - [ अभि+कन् ] कामी, लपंट, विलासी । सोऽधिकारमभिकः कुलोचितं काश्चन स्वयमवर्तयत्समाः । 19/4 इसका फल यह हुआ कि वे कामुक हो गए, कुछ दिनों तक तो उन्होंने स्वयं राज काज देखा । 2. कामयान : - | - [ कम्+ णिङ् + शानच्, पक्षे भुक् तृच् वा ] कामासक्त, कामुक । राजयक्ष्मपरिहानिराययौ कामयान समवस्थया तुलाम् | 19/50 यक्ष्मा रोग से सूखकर वह ठीक विरहियों के समान दिखाई देने लगा। 3. कामी : - [ कम्+ णिनि ] कामासक्त, कामुक । कामिनी सहचरस्य कामिनस्तस्य वेश्मसु मदंगनादिषु । 19/5 वह कामी राजा कामिनियों के साथ उन भवनों में दिन रात पड़ा रहने लगा, जिनमें बराबर मृदंग बजते रहते थे । 4. कामुक : - [ कम्+उकञ् ] कामासक्त, कामातुर । वंचयिष्यसि कुतस्तमोवृतः कामुकेति चकृषुस्त मंगनाः । 19 / 33 रात को वह संभोग की इच्छा से जब बाहर जाने को होता था, तो उसकी स्त्रियाँ यह कहते हुए खींच लाती थीं कि कहिए चकमा देकर रात को किधर चले । 5. प्रमत्त :- [ प्र+मद्+क्त] नशे में चूर, उन्मत्त, पागल । तं प्रमत्तमपि न प्रभावतः शेकुराक्रमितुमन्यपार्थिवाः । 19/48 इतना व्यसन में लीन होने पर भी दूसरे राजा उसके राज्य पर आक्रमण नहीं करते थे । 6. लोलुप :- [ लुभ + यङ् अच्] लालायित, लालची । जह्नुराप्रथनमोक्षलोलुपं हैमुनैर्निवसनैः सुमध्यमः । 19/41 सोने की तगड़ी को बांधने और खोलने के लिए लालायित रहने वाला वह राजा मोहित हो जाता था । For Private And Personal Use Only अभिजात 1. अभिजात : - [ अभि + जन+क्त] उत्पन्न, जन्मा हुआ, पैदा हुआ। जात्यस्तेनाभिजातेन शूरः शौर्यवता कुश: । 17/4 अतिथि भी कुश के समान ही कुलीन, शूर और जितेन्द्रिय थे।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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