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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 285 रघुवंश स्वस्त्यस्तु ते निर्गलिताम्बुगर्भ शरद्घनं नार्दति चातकोऽपि। 5/17 क्योंकि पपीहा भी बिना जलवाले बादलों से पानी नहीं माँगता। विजयदुन्दुभितां ययुरर्णवा घनरवा नरवाहन संपदः। 9/11 उस समय बादल के समान गरजता हुआ समुद्र उनकी विजय-दुंदुभी बजाता था। तावदाशु विदधे मरुत्सखैः सा सपुष्पजल वर्षिभिर्धनैः। 11/3 इतने में वायु ने फूल और बादलों ने जल लाकर सड़कों पर बरसा ही तो दिया। प्रवृत्तमात्रेण पयांसि पातुमावर्तवेगाद्धमता घनेन। 13/14 काले-काले बादल समुद्र का पानी लेने आए हैं और समुद्र की भँवर के साथ-साथ बड़ी तीव्र गति से चक्कर काट रहे हैं। क्वचित्पथा संचरते सुराणां क्वचिद्घनानां पततां क्वचिच्च। 13/19 यह कभी तो देवताओं के मार्ग में उड़ता चलता है, कभी बादलों के मार्ग में पहुँच जाता है और कभी पक्षियों के मार्ग में उड़ने लगता है। आमुञ्चतीवाभरणं द्वितीयमुद्भिन्नविद्युद्वलयो घनस्ते। 13/21 तुम्हारे मणिबंध के चारों और बिजली कौंध जाती है, उस समय ऐसा जान पड़ता है, मानो बादल तुम्हारे हाथ में दूसरा कंगन पहना रहे हों। गुहाविसारीण्यतिवाहितानि मया कथं चिदघनं गर्जितानि। 13/28 जब वहाँ बादल गरजते थे और गुफाओं में उसकी प्रतिध्वनि होने लगती थी। तत्रेश्वरेण जगतां प्रलयादिवोर्वी वर्षात्ययेन रुचमभ्रघनादिवेन्दोः। 13/77 जैसे आदि वराह ने प्रलय से पृथ्वी को उबार लिया था, जैसे वर्षा बीतने पर शरद् बादलों से चाँदनी छीन लेता है। आचकांक्ष घनशब्द विल्कवास्ता विवृत्य विशतीर्भुजान्तरम्। 19/28 वरन् यह चाहता था कि किसी प्रकार बादल गरज उठें, जिससे डरकर ये मेरी छाती से आ चिपटें। 5. जलद :-[जल + अक् + दः] बादल। बालातपमिवाब्जानामकालजलदोदयः। 4/61 जैसे असमय में उठे हुए बादलों से प्रभात की धूप में खिले हुए कमलों की चमक जाती रहती है। वायवः सुरभिपुष्परेणुभिश्छायया च जलदाः सिषेविरे। 11/11 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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