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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 284 कालिदास पर्याय कोश जैसे आदि वराह ने प्रलय से पृथ्वी को उबार लिया था, जैसे वर्षा बीतने पर शरद, बादलों से चाँदनी छीन लेता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुदुतो वायुरिवाभ्रवृन्दैः सैन्यैरयोध्याभिमुखः प्रतस्थे । 16 / 25 जैसे वायु के पीछे-पीछे बादल चलते हैं, वैसे ही पीछे चलने वाली सेना के साथ शुभ मुहूर्त में अयोध्या के लिए चल दिए । संध्योदय: साभ्र इवैष वर्णं पुष्यत्यनेकं सरयू प्रवाहः । 16 / 58 धुले हुए अंगराग के मिल जाने से सरयू की धारा ऐसी रंग-बिरंगी लगने लगती है, जैसे बादलों से भरी संध्या । 2. अम्बुद : - [ अम्ब् + उण् + दः] बादल । नवाम्बुदानीक मुहूर्तलांछने धनुष्यमोघं समधत्त सायकम् । 3/53 इन्द्र का वह धनुष इतना सुंदर था कि थोड़ी देर के लिए उसने नए बादलों में इन्द्रधनुष जैसे रंग भर दिए । शशाक निर्वापयितुं न वासवः स्वतश्च्युतं वह्निमिवाद्भिरम्बुदः । 3/58 जैसे बादल घोर वर्षा करके भी अपने हृदय में उत्पन्न बिजली को नहीं बुझा सकता है, वैसे ही इन्द्र भी रघु को नहीं हरा सके। केवलोsपि सुभगो नवाम्बुदः किं पुनस्त्रिदशचाप लांछितः । 11/80 एक तो नया बादल यों ही सुन्दर लगता है, फिर यदि उसमें इन्द्र धनुष भी बन जाये, तो उसकी शोभा का कहना ही क्या। धारा स्वनोद्गारिदरीमुखोऽसौ शृंगाग्रलद्गाम्बुदवपंकः । 13/47 गुफा ही इसका मुख है, इससे निकलने वाली धारा का शब्द ही इसकी डकार है, इसकी चोटी ही उसकी सींगें हैं और उसपर छाए हुए बादल ही मानो सींगों पर लगी हुई कीचड़ है। 3. अम्बुधर : - [ अम्ब् + उण् + धरः] बादल । शरत्प्रमृष्टाम्बुधरो परोधः शशीव पर्याप्त कलो नलिन्याः । 6/44 जैसे बिना बादलों के आकाश वाले शरद ऋतु का चन्द्रमा भी कमलिनी को नहीं भाता । 4. घन :- [ हन् मूर्ती अप् घनादेशश्च :- तारा०] बादल । रजोभिः स्यन्दनोद्धूतैर्गजैश्च घन संनिभैः । 4/29 रर्थों के चलने से जो धूल ऊपर उड़ी (उसने आकाश को पृथ्वी बना दिया।), उससे सेना के काले-काले हाथी, बादल जैसे लग रहे थे । For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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