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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 262 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश कभी-कभी उनके पास से सुन्दर चमकीली पँछों वाले मोर भी उड़ जाते थे, पर ये उन पर बाण नहीं चलाते थे । नृत्यं मयूराः कुसुमानि वृक्षा दर्भानुपात्तान्विजहुर्हरिण्यः । 14/69 उनका रोना सुनकर मोरों ने नाचना बंद कर दिया, वृक्ष फूल के आँसू गिराने लगे और हरिणियों ने मुँह में भरी हुई घास का कौर गिरा दिया। 4. शिखंडी :- [ शिखण्डोऽस्त्यस्य इनि] मोर । षड्ज संवादिनी: केका द्विधा भिन्नाः शिखंडिभिः । 1/39 बहुत से मोर इस भ्रम से अपना मुँह इसलिए ऊपर उठाकर, दुहरे मनोहर षड्ज शब्द से कूक रहे हैं। महिषी 1. महिषी : - [ महिष् + ङीष् ] पटरानी, रानी । सायं संयमिनस्तस्य महर्षेर्महिषीसखः । 1/48 सांझ होते-होते यशस्वी राजा दिलीप अपनी पत्नी के साथ संयमी महर्षि वशिष्ठ जी के आश्रम तक पहुँच गए। इत्थं व्रतं धारयतः प्रजार्थं समं महिष्या महनीय कीर्ते: 12/25 इस प्रकार अपनी रानी के साथ संतान प्राप्ति के लिए यह कठोर व्रत करते हुए। नदीमिवान्तः सलिलां सरस्वतीं नृपः ससत्वां महिषीम मन्यत । 3 / 9 राजा दिलीप अपनी गर्भिणी रानी को वैसी ही महत्त्वशाली समझते थे, जैसे भीतर ही भीतर जल बहाने वाली सरस्वती नदी । क्रथकैशिक वंशसंभवा तव भूत्वा महिषी चिराय सा । 8/82 वही अप्सरा क्रथकैशिक (विदर्भ) वंश में जन्म लेकर तुम्हारी रानी हुई। 2. राज्ञी : - [ राजन् + ङीप्, अकार लोपः ] रानी । तयोर्ष गृहतुः पादान्राजा राज्ञी च मागधी । 1/57 राजा दिलीप और मगध की राजकुमारी रानी सुदक्षिणा ने चरण छूकर उन्हें प्रणाम किया। धर्म लोप भयाद्राज्ञीमृतुस्नाता मिमां स्मरन् । 1/76 उस समय तुम्हारी रानी ने रजस्वला होने पर स्नान किया था और तुम सोचते जा रहे थे कि यदि इस समय उसके साथ संभोग नहीं करूंगा, तो गृहस्थ का धर्म बिगड़ जाएगा । For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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