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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश धृतातपत्रो भरतेन साक्षादुपायसंघातं इव प्रवृद्धः । 14/11 भरत हाथ में छत्र लिए हुए थे, चारों भाई ऐसे जान पड़ रहे थे मानो साम, दाम, दंड और भेद ये चारों उपाय इकट्ठे समूहित हो गए हों । मंत्री 1. अमात्य : - [ अमा + त्यक्] मंत्री, राजा का सहचर । स वृत्तचूलश्चलकाकपक्षकैरमात्यपुत्रैः सवयोभिरन्वितः । 3 / 28 मुंडन संस्कार हो जाने पर रघु ने चंचल लटों वाले तथा समान आयु वाले मंत्रियों के पुत्रों के साथ | वृद्धैरमात्यैः सह चीरवासा मामर्घ्यपाणिर्भरतोऽभ्युपैति । 13/66 251 चीर पहने, पैदल चलते हुए हाथ में पूजा की सामग्री लिए हुए मंत्रियों के साथ भरत मेरे ही पास आ रहे हैं। निर्वर्तयामासुरमात्यवृद्धास्तीर्थाहृतैः काञ्चनकुंभतोयैः । उस अभिषेक को सोने के घड़ों में भरे तीर्थों से लाए हुए जल से राम को नहलाकर बूढ़े मंत्रियों ने पूरा कर दिया। 2. मंत्री : - [ मन्त्र + णिनि ] मंत्री, सलाहकार । अजिताधिगमाय मन्त्रिभिर्युयुजे नीतिविशारदैरजः । 8/17 एक ओर अज नीति जानने वाले मंत्रियों के साथ दिग्विजय का विचार करने लगे । श्मश्रु प्रवृद्धि जनितानन विक्रियांश्च प्लक्षान्प्ररोहजटिलानिव मंत्रिवृद्धान् । 13/71 फिर वृद्ध मंत्रियों से मिले, मूँछ और दाढ़ी बढ़ जाने से वे ऐसे दिखाई दे रहे थे, जैसे घने बरोह वाले बड़ के वृक्ष हों I तदात्मसंभवं राज्ये मंत्रिवृद्धाः समादधुः । 17/8 उसके अनुसार मंत्रियों ने उनके पुत्र अतिथि को राजा बनाया । मंत्र: प्रतिदिनं तस्य बभूव सह मंत्रिभिः । 17/50 वे प्रतिदिन मंत्रियों के साथ राज्य की बातें करते थे । गौरवाद्यपि जातु मंत्रिणां दर्शन प्रकृतिकांक्षितं ददौ। 19/87 यदि कभी मंत्रियों के कहने-सुनने से वह प्रजा को दर्शन भी देता तो । For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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