SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 222 कालिदास पर्याय कोश 2. भरत :-[भरं तनोति-तन्+ड] दशरथ की पत्नी कैकेयी का बेटा, राम का भाई। अर्ध्यम_मिति वादिनं नृपं सोऽनवेक्ष्य भरताग्रजो यतः। 11/69 दशरथजी अभी कहते ही रह गए कि आपके सत्कार के लिए यह अर्ध्य है, किन्तु उन्होंने भरत के बड़े भाई राम को टेढ़ी चितवन से देखा। मौलेरानायया मा सुर्भरतं स्तम्भिताश्रुभिः। 12/12 उन कुल-मंत्रियों को भेजकर भरत को उनकी ननिहाल से बुलवाया, जिन्होंने अपने आँसू निकलने नहीं दिए थे। मातुः पापस्य भरतः प्रायश्चितमिवाकरोत्। 12/19 मानो भरत जी ने अपनी माता के पाप का प्रायश्चित कर डाला हो। रामस्त्वासनदेशत्वाद्भरतागमनं पुनः। 12/24 राम ने इस डर से कि अयोध्या पास में ही है, ऐसा न हो कि भरत फिर यहाँ पहुँच जायें। शंके हनूमत्कथित प्रवृतिः प्रत्युद्ग्तो मां भरतः ससैन्यः। 13/64 हनुमान जी से मेरे आने का समाचार सुनकर भरत सेना लेकर मेरा स्वागत करने आ रहे हैं। वृद्धैरमात्यैः सह चीरवासा मामयं पाणिर्भरतोऽभ्युपैति। 13/66 चीर पहने, पैदल चलते हुए, हाथ में पूजा की सामग्री लिए हुए, मंत्रियों के साथ भरत मेरे ही पास आ रहे हैं। ज्योतिष्पथादवततार सविस्मयाभिरुद्वीक्षितं प्रकृतिभिर्भरतानुगामिः। __13/68 वह विमान आकाश से नीचे उतर आया और भरत जी के पीछे चलने वाली सारी जनता आँख फाड़-फाड़ कर उन्हें देखने लगी। इक्ष्वाकुवंश गुरवे प्रयतः प्रणम्य स भ्रातरं भरतमग्रंपरिग्रहान्ते। 13/70 विनीत राम ने पहले इक्ष्वाकु वंश के गुरु वशिष्ठजी को प्रणाम किया, फिर अध र्य ग्रहण करके आँख में आँसू भरकर, उन्होंने पहले भरत जी को छाती से लगा लिया। इत्यादृतेन कथितौ रघुनन्दनेन व्युत्क्रम्य लक्ष्मणमुभौभरतोववन्दे। 13/72 राम के इतना कहने पर भरतजी ने लक्ष्मण को छोड़कर पहले उन्हीं दोनों का स्वागत किया। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy