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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश राम ने पहले तो सुग्रीव आदि मित्रों को सब प्रकार की सामग्री से सजे भवनों में ठहराया। कामिनी सहचरस्य कामिनस्तस्य वेश्मसु मृदंग नादिषु । 19/5 वह राज भवन की उन भीतरी कोठियों में पड़ा रहता थ, जिनमें बराबर मृदंग बजते रहते थे । 219 7. सद्मन: - [ सीदत्यस्मिन् - सद्+मनिन् ] घर, मकान, आवासस्थान । न केवलं सद्मनि मागधीपतेः पथि व्यजृम्भन्त दिवौकसामपि । 3 / 19 केवल सुदक्षिणा के पति दिलीप के ही राजमंदिर में मनोहर बाजे और वेश्याओं के नाच आदि उत्सव नहीं हो रहे थे, वरन् आकाश में देवताओं के यहाँ भी नाच-गान हो रहा था । यमात्मनः सद्मनि संनिकृष्टो मन्द्र ध्वनित्याजितयामूर्तयः । 6/56 ठीक इनके राज भवन के नीचे समुद्र हिलोरें लेता है, जो नगाड़े ही ध्वनि से भी गंभीर अपने गर्जन से उद्भासितं मंगल संविधाभिः संबन्धिनः सद्म समाससाद | 7/16 उस राज भवन में पहुँचे, जो मंगल सामग्रियों की सजावट से जगमगा रहा था । तयोर्यथाप्रार्थितमिन्द्रि यार्था ना सेदुषोः सद्मसु चित्रवत्सु। 14/5 वे दोनों उस भवन में इच्छानुसार विलास करते थे, जिसमें वनवास के समय के चित्र टंगे थे । 8. सौध : - [ सुधया निर्मित रक्तं वा अण] विशालभवन, महल, बड़ी हवेली । ततस्तदालोकनतत्पराणां सौधेषु चामीकर जालवत्सु । 7/5 उनको देखने के लिए अपने भवनों के झरोखों की ओर दौड़ पड़ीं। तस्यायमन्तर्हितसौधभाजः प्रसक्त संगीत मृदंगघोषः । 13/40 यह जो नाच-गाना सुनाई दे रहा है, यह जल के भीतर बने हुए उन्हीं के भवन का है। वहीं के मृदंग की ध्वनि गूँज रही है । विवेश सौधोद्नतलाज वर्षामुत्तोरणा मन्वयराजधानीम् । 14/10 उस राजधानी अयोध्या में पैर रखा, जो चारों ओर बन्दनवारों से सजाई गई थी, जहाँ के श्वेत भवनों पर से धान की खीलें बरस रही थीं । For Private And Personal Use Only तत्रसौधगतः पश्यन्यमुनां चक्रवाकिनीम् । 15 / 30 वहाँ एक ऊँचे भवन पर चढ़कर उस नीले जलवाली यमुना को देखा, , जिसमें बहुत से चकवे चहचहा रहे थे ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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