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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश जिस राम पर राज्याभिषेक का जल छिड़का जाने वाला था, उन्हीं के सिर पर देवताओं ने वे फूल बरसाए, जिनकी सुगंध पाकर भौंरे । अनिग्रहत्रास विनीत सत्त्वम् पुष्पलिंगात्फल बन्धिवृक्षम् | 13 /50 यह तपोवन इतना प्रभावशाली है कि यहाँ बिना फूल आए ही वृक्षों में फल लग जाते हैं। 201 कैलासनाथो द्वहनाय भूयः पुष्पं दिवः पुष्पकमन्वमंस्त । 14 / 20 तब राम ने स्वर्ग के फूल के समान पुष्पक विमान को भी कुबेर के पास जाने की आज्ञा दी । पुष्पं फलं चार्तवमाहरन्त्योबीजं च बालेयमकृष्टरोहि । 14/77 यहाँ की मुनि कन्याएँ तुम्हें सब ऋतुओं में उत्पन्न होने वाले फूल-फल और पूजा के योग्य अन्न लाकर रख दिया करेंगी। च्युतं न कर्णादपि कामिनीनां शिरीषपुष्पं सहसा पपात । 16/48 इसलिए जब वे सिरस के फूल कान पर से गिरते भी थे, तो सहसा पृथ्वी पर नहीं गिर पाते थे । अथोर्मिलोलीन्मदराजंसै रोधोलता पुष्पवहे सरय्वाः । 16/54 लहरों के लहराने से मतवाले बने हुए हंसों वाले तट की लताओं के फूलों को बहाने वाले, सरयू के जल में। सेहेऽस्य न भ्रंश मतो न लोभात्स तुल्यपुष्पाभरणा हि धीरः । 16/74 बुद्धिमान राजा कुश, फूल और आभूण दोनों को बराबर समझते थे । तदनुः ववृषुः पुष्पमाश्चर्य मेघाः । 16/87 विचित्र प्रकार के मेघों ने आकर आकाश से सुगंधित फूल बरसा दिए । अथ मधु वनितानां नेत्रर्निवेशनीयं मनसितरुपुष्पं रागबन्ध प्रवालम् । 18/52 तब सुदर्शन के शरीर में वह जवानी आ गई, जो स्त्रियों की आँखों की मदिरा होती है, जो शरीर रूपी लता के पत्र व पुष्प होती है। For Private And Personal Use Only 3. प्रसून :- [ प्र+सू+क्त, तस्य नत्वम] फूल । अवाकिरन्बाललताः प्रसूनैराचार लाजैरिव पौरकन्याः । 2/10 वन की लताएँ उनके ऊपर उसी प्रकार फूलों की वर्षा कर रही थीं, जिस प्रकार राजा के स्वागत में नगर की कन्याएँ राजा के ऊपर धान की खीलें बरसाती हैं। ततोऽभिषंगा निल विप्रविद्धा प्रभ्रश्यमाना भरण प्रसूना। 14/54
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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